निष्प्राण अरपा के प्राणों की चिंता में, चिंतित नजर आ रहे जिम्मेदार!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। “देर आए दुरुस्त आए” एक लोकप्रिय कहावत है इसे तो आप सबने सुनी होगी जिसका अर्थ है कि आप एक आदर्श परिणाम के साथ आ रहे हैं,खासकर एक लंबे संघर्ष या प्रयास के बाद।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं उस अरपा नदी की जो छत्तीसगढ़ राज्यगीत के गीत में प्रथम स्थान पर है, वही जीवनदायनी “अरपा” नदी की जिसकी सांसें हर पल टूट रही है, उसके सरंक्षण और संवर्धन की कागजी कार्ययोजना,उसके लिए “वेंटिलेटर” का काम कर रहे है। उसका जीवन बचाने के लिए सालों से आवाज बुलंद किया जा रहा है लेकिन “आवाम की आवाज” जिम्मेदारों की उदासीनता और रेत माफियाओं के रसूख के सामने नीलाम हो जाती है।
जिले में निष्प्राण अरपा नदी पर आठ वैध रेत घाट की स्वीकृति के बाद से उसका सीना दिन रात छलनी किया जा रहा था और अवैध रेत घाट की जानकारी खनिज विभाग सहित तमाम जिम्मेदार जाने जिन्होंने शिकायतों को सुनकर,देखकर,जानबूझकर अनदेखा किया।
अब जब वर्तमान में निष्प्राण हुई अरपा नदी का जीवन बचाने की चिंता अर्थात संरक्षण और संवर्धन को लेकर कार्ययोजना बनाए जाने की खबर आम जनता के सामने आई है तो नियम कायदों से बंधे जिम्मेदार लोगों नें छः रेत घाटों को बंद किए जाने का निर्णय लेकर निष्प्राण अरपा में प्राण फूंकने का काम किया है।
कार्ययोजना धरातल में कब आएगी कहना मुश्किल है लेकिन खबर से रेत माफियाओं में हड़कंप जरूर मच गया है और जिम्मेदार लोगों नें माफियाओं से दूरी बनानी शुरू कर दी है।
अब वे सभी जिम्मेदार जो निष्प्राण अरपा नदी की रेत के अवैध खनन और परिवहन की शिकायतों पर पलड़ा झाड़ते नजर आते थे अब उसे संवारने बैठक कर रहे हैं।
अच्छी खबर यह है कि हाईकोर्ट से गठित न्यायमित्र की टीम एवं अरपा को बचाने हाईकोर्ट में दायर याचिकाकर्ता अरपा के उद्गम स्थल का निरीक्षण करेंगे।
फ़िलहाल अरपा की चिंता से चिंतित लोगों के दिलों में अरपा के संरक्षण और संवर्धन की कार्ययोजना बनाए जाने की खबर पर आम जनता के चेहरे पर एक “मुस्कान” का दिखलाई पड़ना उनके मन में कई अन सुलझे सवाल खड़े करता नजर आता है… !
“सवाल” अगले एपिसोड में…