शहर में शिक्षक अटैच…आदिवासी अंचलों में शिक्षकों की कमी…दम तोड़ रहा शिक्षा का अधिकार कानून…जिम्मेदार कुभकर्णीय नींद में!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश से जिले में 15 जून से सभी शासकीय स्कूलों को खोल तो दिया गया,स्कूलों में बच्चे बड़ी उम्मीद से पढ़ाई करने भी पहुंच रहे हैं। लेकिन स्कूल में शिक्षक की कमी के चलते स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पूरी नही हो रही है।
जी हां हम बात कर रहे हैं विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय कोटा अंतर्गत ग्राम पंचायत नगपुरा के आश्रित ग्राम कसाई बहरा में संचालित सरकारी पूर्व माध्यमिक शाला की जहां शिक्षकों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
शिक्षकों की मांग लेकर कसाई बहरा से बड़ी संख्या में ग्रामीण कोटा विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यलय का घेराव कर दिए।
कसाई बहार के ग्रामीणों का कहना था की पूर्व माध्यमिक शाला में 53 बच्चों की दर्ज संख्या है उस पर एकल शिक्षक होने से बच्चे पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे,इसी को लेकर ग्रमीणों ने आवेदन के माध्यम से विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी विजय टांडे से एक और शिक्षक की मांग की है।
वहीं विकास खंड शिक्षा अधिकारी कोटा विजय टांडे का कहना था की कोटा विकास खण्ड अंतर्गत संचालित 35 पूर्व माध्यमिक शाला ऐसे हैं, जहाँ महज दो शिक्षक ही पदस्थ हैं,और 4 ऐसे माध्यमिक शाला है, जहां एकल शिक्षक पदस्थ हैं।
वही स्कूलों में शिक्षकों की कमी को लेकर विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कोटा ने उच्चअधिकारियों को अवगत करा कर शिक्षकों की कमी को जल्द पूरा कराने की बात कही है।
फिलहाल तो शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था की पोल विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी नें स्वयं खोल कर रख दी है पूर्व माध्यमिक शाला में तीन कक्षाएं छठवीं, सातवीं और आठवीं लगती है सात पीरियड्स होते हैं और छह सब्जेक्ट ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन स्कूलों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं का भविष्य कितना उज्ज्वल है!
बहरहाल देखना होगा बिलासपुर के जिला शिक्षा अधिकारी और नव पदस्थ कलेक्टर ग्रामीण अंचलों में संचालित सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के अभाव और अध्ययनरत छात्र छात्राओं के भविष्य को लेकर क्या ठोस कदम उठाते हैं!