एक सरकारी स्कूल…जहाँ बच्चे भरते हैं पानी,लगाते हैं झाड़ू! देखिए वीडियो।

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जिस प्रकार शासन स्तर पर योजनाएं चलाई जा रही है वह इन दृश्यों को देखकर कागजी और मिथ्या प्रतीत होती है। इन भोले भाले बच्चों को शिक्षा के अधिकार कानून का लाभ नहीं मिलना विकास खंड शिक्षा अधिकारी का उदासीन रवैये और लापरवाह कार्यशैली का जीता जागता उदाहरण है जिस पर जिला शिक्षा अधिकारी को संज्ञान में लेते हुए कठोर कार्यवाही करनें की आवश्यकता है।
सरकारी स्कूलों में दर्ज संख्या में लगातार आ रही गिरावट इस बात का प्रमाण है कि अच्छी तनख्वाह के बाद भी शिक्षक बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते, बावजूद इसके माता पिता बड़ी उम्मीद से शिक्षा ग्रहण करनें अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजते हैं दूसरी ओर शासकीय प्राथमिक शाला बासाझाल संकुल केंद्र चपोरा विकासखंड कोटा, जिला बिलासपुर के शाला में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को शिक्षा देने की बजाय शिक्षक द्वारा पीने का पानी भरवाया जा रहा है जिससे छात्र छात्राओं का भविष्य अंधकार नजर आता है।
स्थानीय जागरूक लोगों का कहना है कि शिक्षक हो या ना हो छात्राओं से रोज पानी भरवाया जाता है, कक्षा में झाड़ू लगवाया जाता है आज टेबल कुर्सी हटवा कर उसे व्यवस्थित कराया गया है।
शाला में दो शिक्षक पदस्थ हैं,प्रभारी एचएम लाश्कर व वर्मा। वे कभी स्कूल आते हैं कभी नहीं।
किंतु बच्चों को प्रतिदिन हैंड पंप चला कर पानी भरना, कक्षाओं में झाड़ू लगाना पड़ता है।
रसोईया द्वारा तैयार किया गया मध्यान भोजन भी बच्चों से ही बंटवाया जाता है।
ऐसे में शिक्षा व्यवस्था की निगरानी करने वाले जिम्मेदार अर्थात संकुल समन्वयक, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी, विकास खंड शिक्षा अधिकारी की लापरवाही साफ नजर आती है।
देखना होगा कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी जिन्हें काम के एवज में तनख्वाह तो पूरी मिलती है कुम्भकर्णीय नींद से कब जागते हैं या फिर हमेशा की तरह ऐसी तस्वीरें सरकार की क्षवि धूमिल करती सरकारी शिक्षा पर ग्रहण लगाती रहेगी!


