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आखिरकार कुम्भकर्णीय नींद से जागे खनिज अधिकारी…धृतराष्ट्र बन किया खदान का निरीक्षण! उच्च स्तरीय जांच से उजागर होगा करोड़ों का गड़बड़ घोटाला!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। कोटा जनपद पंचायत के अन्तर्गत खरगहनी ग्राम पंचायत के चांदापारा में एक रहस्यमय चूना पत्थर खदान खनिज विभाग बिलासपुर द्वारा जून 2012 से जून 2026 तक स्वीकृत है। यहां पर खदान मालिक द्वारा अनुज्ञप्ति की शर्तों का पालन ही नहीं किया जा रहा है कि खबर बड़ी प्रमुखता से खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर में बड़ी प्रमुखता के साथ प्रकाशित की गई थी।

इसी खबर पर कुभकर्णीय नींद से जागे खनिज अधिकारियों नें मौके का मुआयना किया और आनन फाफन में रिपोर्ट पेश कर अपनी कलम बचाने का प्रयास किया है।

उन्होंने लिखा है कि मौका जांच में खदान की सीमा दर्शाने वाली बाउंड्री पिलर्स लगा होना नहीं पाया गया। इसका मतलब पिछले दस सालों में जिम्मेदार अधिकारियों नें मौके का निरीक्षण ही नहीं किया?

इस रहस्यमय खदान का रहस्य यह है कि यह खनिज विभाग के दस्तावेज में तो चूना पत्थर खदान के नाम पर स्वीकृत है लेकिन मौके पर क्रेशर प्लांट और खदान स्थापित है। आश्चर्य की बात यह है कि नदी पर बने डेम के निकट खदान में नियुक्त कर्मचारी द्वारा क्रेशर और खदान को बंद बतलाया जाता है। जबकि मौके पर जाने से कभी क्रेशर प्लांट पर गिट्टी की छोटी ढेर नजर आती है तो कभी गिट्टी का बड़ा पहाड़ नजर आता है। और चारों ओर बिखरे बड़े बड़े पत्थरों के ढेर खनिज अधिकारियों की उदासीनता की चुगली करते नजर आते हैं।

यहाँ पदस्थ चौकीदार कम सुपरवाइजर की मानें तो यहां खनिज अधिकारी और पुलिस वाले भी आते जाते हैं और क्रेशर मालिक से मिलकर चले जाते हैं। ऐसा लगता है कि पिछले दस सालों में इस खदान में आने के बाद अधिकारी अपनी आँखें बंद रखते थे। अब ले देकर शिकायत बाद अधिकारियों नें निरीक्षण किया उस पर आँखे बंद थीं? इसका मतलब दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी की पूरी दाल काली है।

1.790 हेक्टेयर निजी भूमि में जारी उत्तखननपट्टा और खनन क्षेत्र से दूर ये पत्थर खदान खनिज अधिकारियों और खदान संचालक की मिलीभगत की पोल खोल रहे हैं जिसे खनिज अधिकारियों नें जानबूझकर मौके पर अनदेखा किया है। ग्रामीणों के कथनानुसार 12 साल पहले ये पत्थर की गहरी हो चुकी खदान यहां नहीं थी मतलब खदान संचालक और खनिज अधिकारियों ने मिलकर शासन को चुना लगाने और अपनी जेब गर्म करनें में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

शिकायत पत्र में साफ लिखा है कि जारी अनुज्ञप्ति की शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है जैसे खदान स्थल क्षेत्र में खदान से जुड़ी जानकारी का बोर्ड ही नहीं लगाया गया है। मौके पर जांच करनें गए अधिकारियों नें जानबूझकर इस गंभीर लापरवाही को छिपाया है।

उपरोक्त मामले में शिकायतकर्ता का कहना है कि अधिकारी नियमानुसार जांच करने की बजाय खदान संचालक को बचाने और खुद की पोल खुलने के भय से लीपापोती करनें में लगे हैं ऐसे में इस खदान की उच्च स्तरीय जांच किए जाने की जरूरत है जिससे इस बात का सनसनीखेज खुलासा होने की संभावना है इन लोगों ने मिलकर शासन को करोड़ों का चूना लगाया है।

क्या शासन स्तर पर उच्च स्तरीय जांच होगी?

अरपा नदी पर डेम के निकट चूना पत्थर खदान खोले जाने और क्रेसर की अनुमति?

क्रमशः ……

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