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चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयक भुगतान में गड़बड़ी…शिकायत बाद भी, जिम्मेदार अधिकारी कुम्भकर्णीय नींद में!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय अपनी कार्यप्रणाली को लेकर सुर्खियों में बना रहता है इस बार मामला चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयक के भुगतान में अनियमितता की शिकायत का है।

क्या है मामला

शासकीय प्राथमिक शाला देवरी खुर्द में सहायक शिक्षक के रुप में पदस्थ रहते हुए श्रीमती शशि गुलाटी का 30/05/2021 को निधन हो गया। उसके बाद उनके पति हरपाल सिंह गुलाटी नें चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयक के भुगतान के लिए विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय में आवेदन किया। जिसके बाद चिकित्सा प्रतिपूर्ति आबंटन भी जारी कर दिया गया। बजट शीर्ष 27-4396 में कुल 9 शिक्षकों का कुल 25,43,497 जिसमें स्व श्रीमती शशि गुलाटी का चिकित्सा प्रतिपूर्ति आबंटन राशि रुपए 339132 भी शामिल था राशि आबंटित होने के बाद भी भुगतान नहीं हुआ।

विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय में बरती जा रही लापरवाही व अनियमितता से परेशान हरपाल सिंह नें 6/11/21 को विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी को चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयक के भुगतान किए जाने पत्र लिखा।

पत्र लिखे जाने के बावजूद भुगतान नहीं होने पर हरपाल सिंह नें 27/12/21 को कलेक्टर बिलासपुर, सँयुक्त संचालक शिक्षा संभाग बिलासपुर और जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर अनियमितता की शिकायत करते हुए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी पर कठोर कार्यवाही की मांग करते हुए भुगतान कराने की बात कही।

हालांकि शिकायत बाद जिला शिक्षा अधिकारी और संयुक्त संचालक कार्यालय से 3/1/22 को एक पत्र जारी किया गया जिसमें 15 दिवस के भीतर भुगतान किए जाने और भुगतान में विलंब होने का कारण, मतलब स्पष्टीकरण मांगा गया था। किंतु एक माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया।

जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बिलासपुर द्वारा शिकायत निवारण शिविर का आयोजन भी 6/1/22 को रखा गया किन्तु यहां भी उपस्थित नहीं होने के कारण प्रकरण का निराकरण नहीं हो सका। पुनः 18/1/22 को शिकायत निवारण शिविर का आयोजन किया गया।

विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 9 शिक्षकों के लिए प्राप्त भुगतान राशि में किसी अन्य शिक्षक को लाभ दिलाया गया है आरम्भ के 8 शिक्षकों का भुगतान तो हो गया किन्तु पर्याप्त राशि नहीं होने से इनका भुगतान जिला कोषालय द्वारा रोक दिया गया। गड़बड़ी का भेद खुल जाने के बाद उस शिक्षक से राशि वापस मांगी जा रही है।

भुगतान जिला कोषालय से किया जाता है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा द्वारा नियम कायदे को ताक पर रखकर भुगतान हेतु कोषालय भेजा गया 9 शिक्षकों में 8 शिक्षकों का बिल पास हो गया किन्तु हरपाल सिंग का बिल पास नहीं हुआ!

उपरोक्त मामले में की गई शिकायत पर जांच अधिकारी यदि इस बिंदु पर फोकस करते हुए जांच करें कि बिल क्रमांक 499 में शामिल 9 शिक्षकों में वह कौन शिक्षक है जिसका नाम नहीं होने के बावजूद उसका नाम जोड़कर कोषालय में बिल भेजा गया जिसे भुगतान हो जाने पर हरपाल सिंह का भुगतान लंबित हो गया।

बहरहाल विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा की लचर व्यवस्था से प्रताड़ित हरपाल सिंह को चिकित्सा प्रतिपूर्ति देयक भुगतान दिला पाने में उच्च कार्यालयों में पदस्थ जिम्मेदार अधिकारी अब तक नाकाम साबित हुए हैं देखना होगा कि कुम्भकर्णीय नींद में सोए अधिकारियों की नींद क्या पीड़ित के न्यायालय जाने पर खुलती है!

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