बिलासपुर

कलेक्टर साहब…पेंशन का टेंशन…इस उम्र में जाएं तो जाएं कहाँ!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। कलेक्टर कार्यालय के ठीक सामने गेट पर ली गई ये तस्वीरें इतना बतलाने के लिए काफ़ी है कि जिले की प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई हैं। शासन की महत्वपूर्ण योजना पेंशन योजना का लाभ इन बुजुर्गों को एक दो नहीं बल्कि पिछले छः- सात महीने से नहीं मिल रही है ये जिले के कलेक्टर से गुहार लगाने आए हैं।

कड़कड़ाती ठंड में चलती शीत लहर का कहर भी इन बुजुर्गों को कलेक्टर की चौखट तक आने से नहीं रोक सका,इनकी बूढ़ी हड्डियों में भले ही दम नहीं परन्तु महीने में मिलने वाले पेंशन के चंद रुपयों से इनकी सांसे चलती हैं साहब,एक दो नहीं पूरे सात महीने आश्वासन के झुनझुने पर काट दी। कोरोना की दूसरी लहर को भी मात दी और इस उम्मीद पर जी रहे हैं कि पेंशन की राशि मिलेगी, लेकिन कब? इनकी उखड़ती सांसे,कमजोर नजर, काँपते हाथ,डगमगाते पैर, पके बाल और उस पर कड़कड़ाती ठंड में भी ये कलेक्टर से गुहार लगाने आए हैं। समझिए साहब,उम्मीद टूटे ना, उम्मीद का दामन छुटे ना!

मामला मस्तूरी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत देवरी और पन्धी का है जहां के लगभग 200 से अधिक पेंशन के हितग्राहियों को पिछले सात महीने से पेंशन राशि अप्राप्त है। सरपंच का कहना है कि जाकर कलेक्टर से मिलो।

पेंशन के हितग्राहियों के खाते बैंक ऑफ बडौदा में खोले गए हैं वहां जाने पर बैंक के मैनेजर कहते हैं पैसा आपके खाते में नहीं आया है। ये बुजुर्ग हितग्राही बड़ी उम्मीदों के साथ हर महीने बैंक जाते हैं परंतु निराशा हाथ आती है।

जबकि जिले के कलेक्टर हर सप्ताह टीएल की बैठक लेते हैं शासन की योजनाओं की प्रोग्रेस रिपोर्ट लेकर सभी विभाग प्रमुख बैठक में आते हैं बावजूद इसके कागजी रिपोर्ट की पोल आज इन बुजुर्गों पेंशनधारियों के आने से खुल गई।

जबकि ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा पेंशन नहीं मिलने की जानकारी सीईओ जनपद पंचायत मस्तूरी को देनी चाहिए थी,या फिर एसडीएम मस्तूरी को दी जानी चाहिए थी ताकि समय पर शासन की पेंशन योजना का लाभ बुजुर्गों को मिल पाता। 6 से 7 महीने बाद भी जिला पंचायत सीईओ को जानकारी ना हो, ऐसा लगता नहीं। ऐसे में लचर प्रशासनिक व्यवस्था साफ नजर आती है।

शासन की पेंशन योजना का लाभ हितग्राहियों को समय पर मिल रहा है कि नहीं इसकी मोनिटरिंग के लिए पंचायत सचिव, जनपद सीईओ और एसडीएम की नियुक्ति ब्लाक मुख्यालय में की गई है बावजूद इसके 6 माह से बुजुर्गों को पेंशन का लाभ नहीं मिलना अपने आप में एक बड़ा सवाल प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर खड़ा होता है।

बुजुर्ग पेंशन हितग्राहियों का सीधे कलेक्टर के पास आना भी लचर प्रशासनिक व्यवस्था का उदाहरण है।

बहरहाल देखना होगा कि बुजुर्ग पेंशन हितग्राहियों का पेंशन को लेकर कलेक्टर से फरियाद क्या रंग लाता है। हितग्राहियों को पेंशन मिलेगी या नहीं!

क्या जिला कलेक्टर लचर प्रशासनिक व्यवस्था को सुधारने कोई ठोस कदम उठाएंगे!

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