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किस बात का पैसा वसूल रहे खनिज जाँच नाका के कर्मचारी… खनिज विभाग को बदनाम कर रही तस्वीरें!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। खनिज विभाग और उनके अधिकारी इन दिनों अपनी करतूतों को लेकर सुर्खियां में पहले पायदान पर है इस बार कोनी बाईपास में स्थित खनिज जाँच नाका के कर्मचारियों की करतूत और खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता की वजह बनी है सुर्खियों में आने की।

तस्वीरों को देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के मुखिया जिनके पास खनिज विभाग है उनकी क्षवि को धूमिल करनें का षड्यंत्र रचा जा रहा हो। ऐसा लगता है कि यहां के प्रमुख अधिकारी को शासन द्वारा जारी सरकारी आदेश की परवाह ही नहीं ये अधिकारी शासन के आदेश को अपनी जूती की नोंक पर रखते हैं।

राज्य सरकार नें निकाले गए खनिजों के अवैध परिवहन को रोकने खनिज जांच नाका की स्थापना की है और इसका प्रकाशन गजट में भी करवाया गया। खनिज विभाग के अधिकारियों के द्वारा यहाँ अवैध परिवहन रोकने कर्मचारियों की नियुक्ति भी की गई है। जो खनिज ढोने वाले सभी वाहन में लाए गए खनिज की मात्रा और गुणवत्ता का सत्यापन और अभिवहन की जांच कर रजिस्टर में दर्ज किया जाता है। उसके बाद वाहन चालक वाहन लेकर आगे रवाना होता है। किंतु कोनी खनिज जांच नाका की बात ही अलग है यहां खनिज ढोने वाले वाहन चालकों से यहाँ बैठा कर्मचारी 20-20 रुपए प्रति वाहन अवैध उगाही करता है। जबकि उसे दस्तावेज का अवलोकन और खनिज की गुणवत्ता की जांच मात्रा का अनुमान करने का अधिकार है।

दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि यहां खनिज जांच नाका में बैठा कर्मचारी 10 में से एक ही गाड़ी का विवरण अपने रजिस्टर में अंकित करता है बाकी गाड़ियों के दस्तावेज में सील लगाकर वापस कर देता है। ये जांच का विषय है।

कोनी खनिज जांच नाका में प्रभारी सहित चार कर्मचारियों दल है किंतु ये 24 घंटे यहाँ तैनात नहीं रहते हैं ये भी जांच का विषय है।

यहां खुलेआम 20-20 रुपए प्रत्येक वाहन चालकों से वसूल रहे कर्मचारी ने बताया कि प्रतिदिन 5 से 7 हजार रुपए की उगाही होती है। मतलब 2 लाख 10 रुपए महीने का और साल भर में 25 लाख 20 हजार रुपए की उगाही की जाती है। ये भी जांच का विषय है कि किसके कहने पर अवैध रूप से वाहन चालकों से उगाही की जा रही है। ऑफिस इंचार्ज क्या कर रहे हैं।

कर्मचारी नें बताया कि इस वसूल किए गए रुपए से खनिज जांच नाका का बिजली बिल पटाया जाता है,टेम्परेरी कनेक्शन होने की वजह से बिल 6 से 10 हजार रुपए आता है, खनिज चौकी का मेंटेनेंस किया जाता है और स्टाफ के भोजन की व्यवस्था की जाती है। ये भी जांच का विषय है कि खनिज विभाग के अधिकारी इतना सब कुछ होने पर भी चुप क्यों हैं।

एक सवाल बार बार ज़ेहन में आता है कि क्या और क्यों वाहनों के मालिक खनिज जांच नाका में हो रहे 20 रुपए की अवैध उगाही की शिकायत दर्ज नहीं कराते या वाहन चालकों द्वारा विरोध क्यों नहीं किया जाता! ये भी जांच का विषय है।

मतलब साफ है कि यहां से बिना अभिवहन पास के भी कोयला, गिट्टी, रेत से भरे वाहनों को रुपए लेकर छोड़ा जा रहा होगा। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।

बहरहाल खनिज विभाग और खनिज जांच नाका के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है इस बात की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि अवैध उगाही और परिवहन से हो रही बदनामी पर रोक और राजस्व के नुकसान की भरपाई की जा सके।

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