बिलासपुर

मुरुम चोरों पर मेहरबान अफसर…बेरोकटोक हो रहा अवैध खनन और परिवहन…

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। प्रदेश के राजस्व में वृद्धि का एक साधन खनिज भी है ऐसा मुख्यमंत्री का कहना है और यह विभाग मुख्यमंत्री के पास है किंतु बिलासपुर जिले में खनिज विभाग और उसके अधिकारी,कर्मचारी अवैध खनन और परिवहन की शिकायतों पर कार्यवाही ना करके मुख्यमंत्री की उम्मीद पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं जिससे शासन के मुखिया की क्षवि ग्रामीण क्षेत्रों में धूमिल हो रही है।

मामला रतनपुर स्थित पहाड़ी टीला साँझी पारा का है जहाँ मुरुम चोरों द्वारा बिना अनुमति बड़े पैमाने पर मुरुम का अवैध खनन कर बेखौफ परिवहन किया जा रहा है। और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी कोई कार्यवाही ना करके,मौन हैं।

इन तस्वीरों को देखकर आप खुद समझ जायेंगे कि मुरुम चोरों पर खनिज विभाग के जिम्मेदार अफसर किस कदर मेहरबान हैं।
मुुरुम चोर पहाड़ी पर जेसीबी मशीन लगाकर डम्परों में मुरुम का लदान कर रहे हैं और अवैध मुरुम से लदे वाहन को लेकर बेरोक टोक चल रहे हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि NH-130 की सड़क किनारे मुरुम डंप किया जा रहा है। इतनी गंभीर शिकायत बाद भी खनिज विभाग के अफसरों को कार्यवाही की फुर्सत नहीं है।

उपरोक्त तस्वीरों से मुरुम चोरों के हौसले बुलंद हैं ये तो साफ पता चलता है। मुरुम चोर और खनिज विभाग के अफसरों के बीच जुगलबंदी का ये जीता जागता उदाहरण है कि मुरुम से लदे वाहनों की बेरोकटोक आवाजाही हो रही है।

मुरुम चोर पर मेहरबान हैं अफसर इस बात को स्थानीय लोग कहते हैं,अवैध परिवहन में दौड़ रहे वाहनों को कोई रोकटोक नहीं झेलना पड़े इसलिए खनिज निरीक्षक की टीम इस ओर नहीं आती। इससे अधिकारियों की उदासीनता और संलिप्तता को बल मिलता है।

बता दें कि जिले में एक भी मुरुम खदान स्वीकृत नहीं है। इसकी जगह केवल 3 से 4 लोगों को स्थानीय जरूरत के लिए मिट्टी/ मुरुम परिवहन की अनुमति दी गई है ना कि उत्तखन की,लेकिन इसकी आड़ में जिले में खुलेआम अवैध मुरुम खनन व परिवहन किया जा रहा है।

जिले के कोटा,तखतपुर, बिल्हा के ग्रामीण इलाकों से आए दिन दर्जनों शिकायत रोज आती है दर्जन भर इलाकों में मैदानों, खेतों और नर्सरी में खुदाई कर मुरुम खपाया जा रहा है। खनिज अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण मुरुम लेकर पहुंच रहे वाहनों की जांच नहीं हो रही है।

कार्यवाही नहीं होने से जहां सरकार को प्रतिदिन लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है वहीं लोगों का कहना है कि अधिकारी और मुरूम चोर मालामाल हो गए हैं।

जबकि अधिकारी चाहें तो स्थानीय जरूरत के लिए परिवहन के मामले में मुरुम के एवज में समझौता शुल्क जमा कराने का प्रावधान है। वाहनों की जांच में रायल्टी व शुल्क की पर्चियों की जांच की जाती है। अधिकारियों की मिलीभगत होने से पर्चियों की जांच नहीं हो रही है। इसका फायदा उठाकर बिना शुल्क के ही मुरुम का अवैध परिवहन किया जा रहा है। और सरकार को राजस्व की बड़ी हानि हो रही है।

विभाग की भूमिका इसलिए भी संदिग्ध है क्योंकि अवैध मुरुम खनन व परिवहन के मामले में जानकारी के बाद खनिज विभाग के अफसर दो बार इलाके में दबिश देकर जांच कर चुके हैं, लेकिन अफसरों को एक भी बार सफलता नहीं मिली है। अफसरों के जांच के लिए पहुंचने से पहले दबिश की सूचना अवैध खनन करने वालों तक पहुंच जाती है और कारोबार समेट लिया जाता है। इसे लेकर विभाग के अफसर पहले ही संदेह में हैं।

बहरहाल कुभकर्णीय नींद में सोए हुए खनिज अफसरों को जगाने काम मीडिया द्वारा समय समय किया जाता रहा है जरूरत है राजधानी में बैठे अफसरों को जागने कि ताकि सरकार को हो रहे प्रतिदिन लाखों के राजस्व की हानि रोकने कोई ठोस कदम उठाए ताकि जनता को भी अपने क्षेत्र में मुरुम चोरों पर कार्यवाही होते दिखे उनकी शिकायत पर खनिज विभाग के अफसर कार्यवाही करें उनका भरोसा शासन और प्रशासन पर बना रहे।

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