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सरकार पे भारी…वाहन सरकारी…परिवार करे मुफ्त की सैर…ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। जिले के कुछ विभाग प्रमुख अधिकारियों द्वारा शासन से प्राप्त सरकारी वाहनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस वजह से इस खबर का टाईटल दिया गया है कि सरकार पे भारी…वाहन सरकारी…परिवार करे मुफ्त की सैर…ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर!

सुनने में आया है कि कुछ विभाग प्रमुख अधिकारियों द्वारा सरकारी दौरा करने के लिए मिले सरकारी वाहन का उपयोग निजी उपयोग के लिए किया जा रहा है।

जिले में पदस्थ अधिकारियों के लिए आबंटित सरकारी वाहन का उपयोग अधिकारियों ने अपने घर परिवार की तीमारदारी में लगा रखा है। कोई अपने बेटों को सरकारी वाहन से स्कूल भेजते हैं तो किसी की मेडम शॉपिंग करने मॉल जाती हैं।

कोई पिकनिक, स्कूल, जिम,पार्क,मोटिवेशन क्लास,शादी, पार्टी के लिए भी सरकारी वाहन का उपयोग करता है। साहब के ऑफिस में रहने पर सरकारी वाहन का उपयोग दिन में चार बार स्कूल आने-जाने एवं मॉल जाने में होता है। किटी पार्टी की तो मत पूछिए। इस तरह निजी फेरों में रोजाना कितने किमी का सफर किया जा रहा है आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं। स्कूल आवाजाही में वाहन के साथ सरकारी ड्राइवर और ईंधन का भी उपयोग हो रहा है।

ड्राइवर का कहते है कि उन्हें वाहन चलाने से मतलब, साहब जो आदेश देते हैं वह उसका पालन करता है। वाहन का उपयोग छुट्टी के दिनों में शहर से बाहर जाने के लिए भी होता है। कभी कभी साहब घर से काम करते हैं तो ऑफिस से फाइल लाने ले जाने का काम भी करते हैं।

स्कूल टाइमिंग के कारण उसकी ड्यूटी सुबह 6.30 से शाम 5.30 तक लगाई गई है। वाहन का माइलेज प्रति लीटर आठ से दस किमी है। इस लिहाज से रोजाना चार से पांच लीटर सरकारी ईंधन की खपत परिवार की तीमारदारी में हो रही है। महीने में ईंधन का खर्च साढ़े चार हजार, सभी खर्चों को मिलाकर 34-35 हजार रुपए का सरकारी धन, परिवार की तीमारदारी पर खर्च कर रहे हैं। मतलब सरकारी खजाने में सेंध लगाने का काम किया जा रहा है।

निजी उपयोग नहीं कर सकते

नियमतः सरकारी वाहन का निजी उपयोग किया ही नहीं जा सकता है। सरकारी वाहन का दुरुपयोग रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से वाहन वापस लिया जाना चाहिए। दोषी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी अनुशंसा की जानी चाहिए। ड्राइवर का उपयोग सरकारी कार्य के लिए ही किया जाना चाहिए।

क्या कहता है नियम

सरकारी वाहन का आबंटन शासकीय कामों के लिए ही किया जाना है। वाहन सड़क पर निकलता है, तो उसमें उस अधिकारी का मौजूद होना जरूरी है, जिसके लिए वाहन है।

वाहन में परिवार के लोगों को बैठाकर घुमाना, परिवार के लिए उपयोग करना और निवास में वाहन खड़ा करना शासकीय मोटर एक्ट के तहत गलत है। इसके लिए जुर्माने का भी प्रावधान है।

जिन अधिकारियों को सरकारी वाहन आबंटित हैं, उनकी जिम्मेदारी है कि न केवल वाहन का सही उपयोग करें, बल्कि उपयोग इस भांति हो कि जन साधारण को यह न लगे कि वाहनों का दुरुपयोग हो रहा है।

छत्तीसगढ़ शासकीय वाहन परिचालन नियम के तहत स्पष्ट किया गया है कि सरकारी वाहन का निजी उपयोग पाया गया, तो आबंटन प्राप्त अधिकारी के वेतन से पूरी राशि बतौर जुर्माना वसूल करते हुए अनुशासन की कार्रवाई की जाएगी।

सरकारी वाहनों के दुरुपयोग रोकने शासन प्रशासन को ऐसी व्यवस्था और वातावरण तैयार किया जाना चाहिए ताकि कोई भी विभाग प्रमुख अधिकारी सरकारी वाहनों का निजी काम के लिए उपयोग ना कर सके जिससे सरकारी खजाने को नुकसान ना हो और आम जनता के बीच सुशासन का पैगाम पहुँचे।

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