पुलिस के संरक्षण में सज गई अवैध फटाखों की दुकानें! खुलेआम बगैर लाइसेंस बेच रहे फटाखा।

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। बिलासपुर में अवैध पटाखों दुकानों में खुलेआम बिक्री पुलिस की सांठगांठ से धड़ल्ले से जारी है जबकि जिला प्रशासन द्वारा जारी स्थायी फटाखा दुकान का अनुज्ञा प्राप्त सूची पर नज़र डालें तो मात्र 13 दुकानदारों का नाम पता सामने आता है दूसरी ओर अस्थायी पटाखा अनुज्ञा प्राप्त पटाखा दुकानदार की सूची पर नजर डालें तो इन 159 दुकानदारों को जिला प्रशासन द्वारा चिन्हाकित गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल दयालबंद व रेलवे परिक्षेत्र बिलासपुर में दुकान लगाना है।
शहर के सभी थाना क्षेत्र में अवैध रूप से फटाखा दुकानों के संचालित किए जाने की शिकायत आ रही है बावजूद कार्यवाही करने के सभी थाना क्षेत्र थाने के प्रभारियों व सिपाहियों की निगरानी में अवैध तरीके से खुलेआम बाजारों में पटाखे बेचे जा रहे हैं।
न्यायधानी बिलासपुर में धड़ल्ले से खुलेआम अवैध रूप से ( बगैर लाइसेंस के)पटाखे बेचे जा रहे हैं। जबकि प्रशासन ने दयालबंद और रेलवे क्षेत्र में दुकानों को ही पटाखा बिक्री का लाइसेंस जारी किया गया है। इतना ही नहीं अवैध रूप से पटाखे की बिक्री करने वाले दुकानदारों से जब बात की गई तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वे हर वर्ष इसी तरह खुलेआम पटाखे बेचते हैं और इसके एवज में पुलिस वालों को रुपए और पटाखे भी देते हैं।
जबकि नियमानुसार सभी थाना क्षेत्र में घनी आबादी के बीच अवैध फटाखे की सज रही दुकानें में पटाखों की बिक्री करना प्रशासन द्वारा पूरी तरह से प्रतिबंधित है, बावजूद इसके जिले के प्रायः सभी थाना क्षेत्र में दर्जनों ऐसे स्थानों पर बकायदा खुलेआम अवैध पटाखों की बिक्री बिना लाइसेंस के जारी है।
खुलेआम अवैध कारोबार
ऐसा भी नहीं है कि यहां पुलिस से छिपकर चोरी-छिपे पटाखों का ये अवैध कारोबार किया जा रहा है। यहां बकायदा मुख्यमार्ग पर पंडालों पर अपनी अपनी दुकानों के सामने फड़ लगाकर पटाखों की बिक्री खुलेआम की जा रही है।
पुलिसवालों की चांदी!
अवैध (बिना लाइसेंस के)रूप से पटाखों की दुकान लगा रहे लोगों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे पहली बार इस तरह दुकान नहीं लगा रहे हैं। इसके लिए बकायदा पुलिसवालों ने पैसा तय कर रखा है। दुकान के आगे पटाखों का फड़ लगा रहे एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पुलिसवालों ने प्रत्येक फड़ से 5000 रुपए तय कर रखे हैं। सभी थाना क्षेत्र में इस तरह के करीब सैकड़ों फटाखों की दुकान लगे हुए हैं।
ये हैं नियम
प्रशासन द्वारा जारी लाइसेंस धारकों द्वारा चिन्हित स्थानों पर ही पटाखों की बिक्री की जा सकती है। इसके लिए बकायदा आवेदन मंगाए जाते हैं। निर्धारित प्रक्रिया पूरी करने के बाद पटाखा बिक्री के लिए लाइसेंस जारी किए जाते हैं। किसी भी स्थिति में घनी आबादी में पटाखों के भंडारण और बिक्री की इजाजत नहीं दी जाती है। अगर कोई दुकानदार लाइसेंस के अलावा दूसरे स्थान पर पटाखे बेचता या भंडारण करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ विस्फोटक अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जाती है।
लोगों का कहना
लोगों का कहना है कि बिलासपुर घनी आबादी का क्षेत्र है सकरी गलियों में उमड़ती भीड़,के बीच अवैध फटाका कारोबारियों के पास दुर्घटना से निपटने कोई व्यवस्था नहीं,यह बेहद खतरनाक साबित हो सकता है, लेकिन इसके बाद भी चंद रुपयों के लोभ में यहां सुरक्षा मानकों का ध्यान स्थानीय पुलिस द्वारा नहीं रखा जाता है। कोई अप्रिय घटना के बाद ही प्रशासन सजग होने का दिखावा करता नजर आता है और अवैध कारोबारियों पर कार्यवाही होती है।
टूटता भरोसा
जिन लाइसेंस धारी दुकानदारों नें जिला प्रशासन को नियमानुसार आवेदन देकर फटाखा बेचने का स्थायी और अस्थायी अनुज्ञा प्राप्त किया है और चिन्हाकित स्थलों पर दुकान लगा रहे हैं उनका भरोसा प्रशासन की कथनी और करनी से टूट गया है।
बहरहाल चंद रुपयों के लालच में खुलेआम अवैध पटाखों की बिक्री के दौरान कोई दुर्घटना कारित होने पर जिम्मेदार कौन होगा ये करनें से बेहतर होगा कि पुलिस के उच्च अधिकारी मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए तत्काल प्रभाव से इस पर रोक लगाने ठोस कदम उठाए ताकि कोई दुर्घटना ना घटे और आम जनमानस सुरक्षित रहें जन धन हानि ना हो,वैसे भी पुलिस का काम आम जनता के जान माल की सुरक्षा करना और कानून का पालन कराना है ना कि कानून तोड़ने वाले को प्रश्रय देना!