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समाजसेवी संस्था “कासा” ने बंद हो चुके महामाया कोविड केयर सेंटर को,दस जंबो आक्सीजन सिलेंडर और एक हजार एन 95 मास्क का किया दान…बीएमओ अनजान!

बीएमओ कोटा को खबर नहीं, अस्पताल में लटक रहा ताला, प्रभारी डाक्टर और कर्मचारी नदारत।

खासखबर छत्तीसगढ़ रतनपुर। समाजसेवी संस्था कासा ने बंद हो चुके महामाया कोविड केयर सेंटर अस्पताल को दस जंबो आक्सीजन सिलेंडर और एक हजार एन 95 मास्क दान किया है। आश्चर्य की बात है कि अस्पताल को दान में आक्सीजन सिलेंडर मिलने की जानकारी बीएमओ कोटा को भी नहीं है। वहीं कोविड अस्पताल में ड्यूटी पर लगाए डाक्टर और कर्मचारियों की भी कोई जानकारी बीएमओ के पास नहीं है।

गौरतलब हो कि लखनीदेवी पहाड़ी परिसर में कोविड संक्रमण के दौरान महामाया मंदिर ट्रस्ट और नागरिकों के सहयोग से सर्व सुविधा युक्त महामाया कोविड केयर सेंटर अस्पताल बना कर मरीजों की सुविधा के लिए मई महीने में लोकार्पित किया गया था।

इसके प्रभारी रतनपुर में पदस्थ डाक्टर विजय चंदेल को बनाया गया था। आसपास के अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी ड्यूटी कोविड अस्पताल में लगाई गई थी। महीने भर संचालन के बाद कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या घटने लगी। हालांकि कि कोविड पीड़ित होने के बाद लोगों का इस अस्पताल में परामर्श के लिए आना जारी रहा।

इधर भर्ती मरीजों की संख्या शून्य होने के बाद 25 लाख रुपए से अधिक राशि खर्च कर बनाए गए अस्पताल में ताला जड़ दिया गया। इसलिए परामर्श के नाम पर यहां आने वाले कोविड पीड़ित भटकने लगे।

जानकारी के अनुसार कोविड अस्पताल में तालाबंदी के बाद प्रभारी डाक्टर ने मूल पद स्थापना वाली जगह पर भी कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। स्वास्थ्य अमला कहां ड्यूटी कर रहे हैं इसकी जानकारी बीएमओ कोटा भी नहीं दे पा रहे हैं।

वहीं बुधवार की शाम वनांचल में काम करने वाली संस्था कासा ने कोविड अस्पताल को आक्सीजन के दस जम्बो सिलेंडर दान में दी है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि बंद अस्पताल को दान में दिए गए सिलेंडर से किसका भला होगा।

प्रक्रिया में देर हुई

रतनपुर क्षेत्र में काम करने वाली संस्था कासा के कोआर्डिनेटर परशुराम तिहाड़ी ने मीडिया को बताया महामाया कोविड अस्पताल को दस जम्बो आक्सीजन सिलेंडर और एक हजार मास्क दिए गए हैं। प्रक्रिया में देर होने से देने में देर हुआ आगामी संक्रमण में इसका उपयोग हो सकेगा।

उधारी चुकाने कर रहे आनाकानी

महामाया कोविड अस्पताल खोलने के लिए प्रशासन ने जन सहभागिता से चंदा लेकर राशि भी जमा की भी. स्थानीय व्यवसायियों ने दवाएं और अन्य जरुरी सामान और संसाधन उधारी में उपलब्ध कराए थे अब इन व्यवसायियों को भुगतान करने में भी टालमटोल किया जा रहा है। चंदे में मिली राशि का कहाँ उपयोग हुआ इसका भी कोई लेखा जोखा सार्वजनिक नहीं किया गया है।

जानकारी नहीं

कोटा ब्लॉक के चिकित्सा अधिकारी संदीप द्विवेदी ने मीडिया से कहा कि सिलेंडर दान में मिलने की उन्हें जानकारी नहीं है. मरीज नहीं होने पर अस्पताल बंद कर दिया गया है. प्रभारी डाक्टर और तैनात कर्मचारियों के संदर्भ में वो कोई जवाब नहीं दे पाए.

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