वाह रे खनिज विभाग… 16 साल बाद, जगाने से जागा, नहीं तो सो रहा था कुम्भकर्णीय नींद!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। देश और प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम साल 2005 में लागू किया गया था लेकिन अधिनियम लागू होने के 16 साल बाद भी बिलासपुर खनिज कार्यालय में सूचना के अधिकार अधिनियम से संबंधित आम नागरिक को जानकारी देने वाला सूचना पटल कार्यालय में नहीं लगाया गया था जो अब जाकर 16 साल बाद लगाया गया है।

मतलब साफ है कि कलेक्टर कार्यालय परिसर में स्थापित खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारी पिछले 16 साल से कुभकर्णीय नींद में सो रहे थे। इन 16 सालों में किसी अधिकारी ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के सूचना पटल लगाए जाने की पहल नहीं की।
ऐसे में तो कहा जा सकता है कि वाह रे खनिज विभाग और उसके जिम्मेदार अधिकारी…भ्र्ष्टाचार पर नियंत्रण करनें वाला सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 में लागू हुआ और 16 साल बाद भी सूचना पटल नहीं लगाया गया। जब खासखबर नें यहां पदस्थ जिला खनिज अधिकारी दिनेश मिश्रा से सूचना के अधिकार अधिनियम से संबंधित सूचना पटल कार्यालय में नहीं लगाए जाने की वजह पूछा गया तो “साहब” के जवाब चौकाने वाले थे उन्होंने कहा कि बोर्ड तो मेरे आने के पहले से नहीं लगाया गया है आप पूछ रहे हैं तो लगवा देंगे। आखिरकार खासखबर के दखल के बाद खनिज विभाग के अधिकारी द्वारा सूचना पटल लगाया गया है।

तो देखा आपने की जो विभाग याने खनिज विभाग प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास है और उनके जिम्मेदार अधिकारी को अपने कार्यालय में सूचना के अधिकार अधिनियम के सूचना पटल लगवाए जाने की भी तनिक चिंता नहीं है। ऐसे लापरवाह अधिकारी ना केवल शासन के निर्देश की अवहेलना कर रहे हैं जिससे आम नागरिकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था जिस वजह से शासन की क्षवि धूमिल हो रही थी।
जरूरत है शासन ऐसे मामलों में अधिकारियों पर कठोर कदम उठाए ताकि अन्य विभाग और उन विभागों में पदस्थ प्रमुख अधिकारी अपने अपने कार्यालयों में सूचना के अधिकार से संबंधित सूचना पटल लगाया जा सके ताकि आम नागरिकों को सूचना के अधिकार अधिनियम के मूल उद्देश्य के तहत सूचना प्राप्त करने का अवसर प्राप्त हो सके,भटके नहीं।