बिलासपुर

एक गांव जहां आजादी के बाद से अब तक जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के आश्वासन के बाद भी आवागमन हेतु “सड़क” निर्माण नहीं किया गया!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। स्वतंत्र भारत में रहते हुए आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने वाली है। 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से आजादी तो मिल गई लेकिन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में निवासरत आमजन को जर्जर मार्ग से आज तक आजादी नहीं मिली। शासन-प्रशासन से जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीण सर्व हिताय,सर्व सुखाय के लिए निरंतर पक्की सड़क की मांग वर्षों से कर रहे हैं। बावजूद इसके ग्रामीणों को कीचड़ युक्त उबड़- खाबड़ कच्ची मार्ग से निजात नहीं मिल पाई है।

हम बात कर रहे हैं बिलासपुर जिला अंतर्गत कोटा विधानसभा के ग्राम पंचायत रिगवार पहुंच मार्ग आज की जो आज भी 21वीं सदी से कोसों दूर है। शासन द्वारा कागज़ी विकास सुविधा की उपलब्धि का दावा के बावजूद आज भी ग्रामीण अंचल पक्की मार्ग जैसी सुविधाओं से परे है। जहाँ प्रतिनिधियों द्वारा प्रत्यक्ष पत्राचार होने के बाद भी आज तक ना तो शासन की नजर पड़ी और ना ही प्रशासन की।

ग्रामीणों की मानें तो ग्राम पंचायत रिगवार में लगभग 25 वर्ष पूर्व डब्लू.बी.एम. रोड बनाया गया था। जिसके बाद से लेकर आज तक मार्ग का समतलीकरण नहीं किया गया। जिससे ग्रामीण एवं स्कूली छात्र छात्राओं को आवागमन में परेशानी उठानी पड़ती है। बारिश होते ही उबड़- खाबड़ मार्ग मे ग्रामीण चोटिल भी हो जाते हैं। कच्ची मार्ग को पक्की मार्ग में परिवर्तित करने ग्रामीण पुडू मुख्य मार्ग से रिगवार तक प्रधानमंत्री सड़क योजना व आई एम एम के तहत सीसी रोड निर्माण की स्वीकृति देने ग्रामीण लगातार शासन-प्रशासन से गुहार लगाते रहे हैं।

बावजूद इसके आज तक ग्रामीणों की समस्या का समाधान नहीं हो पाया। जिसे लेकर ग्रामीण बेहद चिंतित एवं शासन प्रशासन के प्रति आक्रोशित नजर आ रहे हैं।

मांग पर आज-तक मिला केवल आश्वासन

खस्ताहाल जर्जर मार्ग से नवीन मार्ग में मूर्त रूप देकर ग्रामीणों को पक्की रोड की सुविधा प्रदान करने लगातार मांग कर रहे हैं।

जिलाधीश,विधायक से लेकर सभी दलों के राज नेताओं के दफ्तर पर चक्कर लगाते लगाते ग्रामीण जनप्रतिनिधि थक चुुके हैं।जहां उन्हें हर बार आश्वासन तो मिला,लेकिन धरातल पर मार्ग की विकास कार्य आज तक प्रारंभ नहीं हो सका। ग्रामीण आज भी आस मेंं बैठे है कि वर्षों से की जा रही पक्की सड़क निर्माण करने मांग आखिर कब तक पूरा होगा।

राजनीतिक लाभ के लिए होती हैं घोषणा

विधानसभा और लोकसभा चुनाव आते ही प्रत्याशी ग्रामीण अंचल का दौरा करते हैं। चुनावी समर में ग्रामीणों की मूलभूत सुविधाओं के अभाव का दुख दर्द को दूर करने राजनीतिक दल साथ खड़े हुए नजर आते हैं।ग्रामीणों से वोट लेने की होड़ में सभी सुविधाओं को पूर्ण करने की घोषणा इस तरह करते हैं मानो चुनाव संपन्न होते ही त्वरित उनकी समस्या का निराकरण हो जाएगा।

ग्रामीण कहते हैं गांव में चुनावी सभाएं हर पंचवर्षीय होती रही और सड़क निर्माण की घोषणाएं भी होती रही हैं चुनावी सभा का परिणाम तो आ गया लेकिन आज तक की गई सड़क निर्माण की घोषणाओं का परिणाम अधर में लटका हुआ है।

जीवनाश सिंह भानू सरपंच प्रतिनिधि

रिगवार-पंचायती राज में पूर्व सरपंच ने भी आवेदन दिया था। इसके बाद वर्तमान में जिला कलेक्टर को पक्की मार्ग के लिए स्वीकृति प्रदान करने आवेदन दिया गया है। सबसे पहले विधायक रेणु जोगी दीदी के पास आवेदन लेकर गए थे जिन्होंने चुनाव में नागरिकों के समक्ष मार्ग को पहला लक्ष्य मानकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जुड़वाकर निर्माण करने प्राथमिकता से घोषणा की गई थी।

राजेन्द्र कंवर ग्रामीण – यह रोड सालों साल होने के बाद भी आज तक नहीं बना हम ग्रामीणों को चलने में बहुत परेशानी होती है। मोटरसाइकिल वाले गिर जाते हैं और पैदल चलने वाले भी गिर जाते हैं। रोड में पूरा पत्थर निकला हुआ है मंत्री अधिकारी आते हैं तो रोड बनेगा बनेगा बोलते हैं, और जाने के बाद कुछ नहीं होता।

विभोर सिंह कांग्रेस नेता- ग्राम पंचायत रिंगवार में पक्की मार्ग निर्माण के लिए आवेदन दिया गया है। कोरोना संक्रमण होने की वजह से आवेदन रुका हुआ है। स्थिति सामान्य होती ही पुनः आवेदन देकर मार्ग के लिए स्वीकृति प्रदान करने मांग किया जायेगा।ताकि ग्रामीण को पक्की मार्ग की सुविधा मिल सके।

बहरहाल छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद भी कोटा विधानसभा क्षेत्र का एक गांव और ग्रामीणों का सड़क निर्माण को लेकर चिंतित होना जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के गाल पर तमाचा साबित हो रहा है, जरूरत है अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को मामले को संज्ञान में लेने की ताकि ग्रामीणों को बदहाल सड़क से निजात मिल सके।

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