बिलासपुर

पिटाई के बाद भी पटवारी को राहत नहीं….खुलने लगी करतूतों की पोल…अब जांच का टेंशन…

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। इन दिनों लगातार जनहित में कर्तव्य एवं नियम के पालन एवं प्रक्रियाओं की परिधि लांघने, आचरण नियमों का उलंघन की शिकायत से बिलासपुर राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की अतिरिक्त कमाई पर ग्रहण लग गया है, ज्यादा पीछे ना जाएं तो मोपका पटवारी कौशल यादव का अचानक स्थानांतरण कर दिया जाना, फिर आर आई संध्या नामदेव पर रिश्वत मांगने का आरोप लगना, फिर अचानक बहतराई पटवारी अनिल डोडवानी के साथ तथाकथित भूमाफिया सतीश सिंह द्वारा सरेराह कुटाई किया जाना और फिर उसके खिलाफ सरकंडा थाने में जुर्म दर्ज हो जानें जैसे मामले पर कोई कार्यवाही शुरू होती उससे पहले फिर बहतराई पटवारी अनिल दोडवानी पर भूमाफियाओं से सांठगांठ कर सरकारी जमीन का विक्रय नकल जारी किए जाने का गंभीर आरोप लगना वहीं तहसीलदार पर जमीन को तीन टुकड़ों में विभाजित कर नामांतरण किए जाने का आरोप लगना, साथ ही उप पंजीयक पर भी बिना मौका मुआयना किए जमीन की रजिस्ट्री किए जाने का आरोप लगना जैसे मामलों में राजस्व महकमा मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा था और सरकार के जवाबदार मंत्री की किरकिरी होने लगी थी।
हालांकि खबरों के प्रसारित होने के बाद राजस्व मंत्री नें शहर का रुख किया और आते ही अधिकारियों की बैठक लेकर दो टूक कह दिया कि सभी मामलों की जांच कर कार्यवाही करें।

अब जांच होगी और होनी भी चाहिए लेकिन एक बात जमीन से जुड़े लोगों को अब तक हजम नहीं हो रही है कि बहतराई पटवारी अनिल दोडवानी एकलौते पटवारी है जो कोटवार के बतलाने पर कि सरकारी जमीन पर कब्जा किए जाने की खबर पर दौड़ पड़े और कब्जा किए जा रहे शासकीय जमीन यानि मौका से दूर कब्जा करने वाले तथाकथित भूमाफिया से सवाल पूछ लिया। फिर जो हुआ सभी जानते हैं। लोग कहते हैं पटवारी को तहसीलदार को प्रतिवेदन प्रस्तुत कर निर्देश का इंतजार करना था।
जानकर कहते हैं कि यदि सभी पटवारी ऐसे ही होते तो बिलासपुर की सरकारी जमीनें भूमाफिया कैसे हड़प लेते?

मामला कुछ और है, यह गहन जांच का विषय है, लोग सरकारी जमीनों पर कब्जों की हजारो लिखित शिकायते देकर कार्यवाही की उम्मीद में पटवारी के कार्यालय, का चक्कर लगाते लगाते थक जाते है?परंतु कार्यवाही नही होती है ? लेकिन यहाँ पर पटवारी का अलग ही रूप देखने को मिल रहा है जो अनेक संदेह को जन्म दे रहा है? कंही पटवारी की स्वम् की नजर तो नही इस जमीन पर ? कंही पटवारी किसी दुसरे भूमाफिया के इशारे पर तो काम नही कर रहा? लोग कहते हैं कि हमने तो आज तक ऐसा कर्तव्यपरायण पटवारी नही देखा है !

हमारे कहने का तात्पर्य यह बिल्कुल भी नहीं है कि अच्छे आचरण वाले पटवारी नही है , हमने कई पटवारियों को देखा है जो आम आदमी का काम लोगो को बिना परेशान किए करते है।

बहरहाल मामला जो भी हो, अब बात मंत्री जी के निर्देश यानि जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की है, सरकार को करोड़ों रुपए के आर्थिक हानि पहुंचाए जाने की है,राजस्व विभाग के दामन को दागदार किए जाने की है, बस जरूरत है लगाए गए आरोपों की सूक्ष्मता और निष्पक्षता और समय सीमा में जांच करने की, ताकि भृष्ट अधिकारी और कर्मचारियों तक संदेश पहुंचे कि शासन के बनाए नियमों का पालन नहीं करनें और जनहित में नियमों एवं प्रक्रियाओं का पालन नहीं करनें का नतीजा क्या होता है।

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