अवैध बारूदी विस्फोट से धराशायी हो गए गरीबों के मकान… सरकार और तंत्र पर नियमों की अनदेखी का लगा इल्जाम…सर छिपाने का सवाल!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। लोकतंत्र में किसी गरीब, अशिक्षित,और आदिवासी परिवार की न्याय की गुहार अपने आप में सरकार और तंत्र को कटघरे में ला खड़ा करता है। जब विकास योजनाओं को फलीभूत करने सरकार और तंत्र ठेकेदार को बचाने नियमों की अनदेखी और गरीबों की गुहार को अनसुना कर देते हैं।
जी हाँ एक ऐसा ही मामला धार्मिक नगरी रतनपुर से निकल कर सामने आया है जहां रतनपुर नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 10 में पहाड़ी पर झोपड़ी बना कर रहने वाले तीन गरीब आदिवासी परिवार विकास मूलक योजनाओं के निर्माण में ठेकेदार और अधिकारियों की सांठगांठ से हो रहे भृष्टाचार जिसके चलते इन गरीबों के घर बारूदी विस्फोट की भेंट चढ़ गए। अब उनके पास सर छिपाने के लिए भी जगह नहीं है।
8 मार्च को जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा था तब इस परिवार की महिलाएं बुधवारा बाई, भूरी बाई खैरवार, और देव कुमार खैरवार अपने आसियाने के उजड़ने का मातम मना रही थीं,और सरकार और तंत्र अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं सम्मान में व्यस्त थे।
मामला कुछ इस तरह का है कि रतनपुर बाई पास से लगी पहाड़ी पर ठेकेदार द्वारा NH की सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है वहीं इस पहाड़ी के चट्टानों को तोड़कर गिट्टी निकाली जा रही है
जिसका उपयोग सड़क बनाने में किया जा रहा है दूसरी ओर इस पहाड़ी पर बीस तीस- साल से कुछ आदिवासी परिवार बसे हुए हैं। ठेकेदार पहाड़ी चट्टानों को तोड़ने चट्टानों पर बारूद लगा कर
विस्फोटक का प्रयोग कर रहा है लोगों का कहना है कि ठेकेदार के पास बारूद से विस्फोट करनें की कोई अनुमति नहीं है बावजूद इसके चार दिन पहले ठेकेदार के कर्मचारियों ने जब हम मजदूरी
करने गए हुए थे घर पर नहीं थे ठेकेदार के लोगों ने हमारे घर के नीचे पहाड़ी पर बारूद लगा कर बच्चों को घर से बाहर निकल जाने की बात कहकर चला गए और विस्फोट होते ही हमारा घर जगह जगह से टूट फुट गया समान भी नहीं निकाल पाए। अब हम अपने परिवार को लेकर कहाँ जाएं।
मजे की बात यह है कि ठेकेदार के लोगों ने इन गरीब परिवार के लोगों को कुछ टिन, थोड़ी सी मिट्टी लाकर दी है ताकि वह अपने घर को फिर से खड़ा कर सके।
सरकार बनाने वाले लोगों के साथ छल किया जा रहा है ऐसे गरीब लोग सरकार बनाने अपना अमूल्य वोट इसलिए नहीं देते है कि सरकार बदले में उन्हें ऐसे दिन दिखलाए,बल्कि उन्हें एक सम्मान की जिंदगी और कानूनन संरक्षण का संरक्षण मिले ताकि वो भी बिना किसी भेदभाव के अपनी जिंदगी बसर कर सकें!
देश सहित यहां भी कानून व्यवस्था है, यहां भी तहसीलदार है, नगर पालिका के अधिकारी है पुलिस थाना है जनप्रतिनिधि हैं तो फिर ये लोग गरीबों के साथ हो रहे अन्याय पर मौन क्यों है इन गरीबों की आवाज बुलंद करने की जगह दबाई क्यों जा रही है!
इस मामले पर सत्ता की अनदेखी पर विपक्ष को सवाल खड़े करने का मौका दिया है लेकिन विपक्ष भी मौन रहकर गरीबों का तमाशा देख रहा है।
जानकर हैरान हैं वो कहते हैं कि ये लोकतंत्र है यदि आपकी कोई समस्या है तो आप अपनी आवाज बुलंद कीजिए। इन तस्वीरों को देखकर ऐसा लगता है कि सरकारी तंत्र अब जनता का हथियार ना होकर सरकार के लिए दीवार का काम कर रही है और सरकार तक आपकी आवाज नहीं पहुँचने दे रही है।
पहले कभी कोई घटना ऐसी हो जाती थी तो तंत्र मौके पर आकर समस्या के निराकरण करने का निर्देश दिया करते थे लेकिन अब ऐसा कुछ होते दिखलाई नहीं देता।
अब सवाल ये कि रोज कमाने खाने वाले दिहाड़ी मजदूर परिवार इतने बड़े ठेकेदार के विरुद्ध अपनी शिकायत दर्ज कर न्यायालय के चक्कर लगायेगा तो उसका और उसके परिवार का भरणपोषण कौन करेगा!
बहरहाल गरीब पीड़ित परिवार के लोगों का कहना है कि उन्हें न्याय मिले सर छिपाने की जगह मिले क्योंकि उन्हें शासन की तमाम योजनाओं में सिर्फ एक योजना ग़रीबी रेखा राशन कार्ड का लाभ मिलता है। ना तो उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला है ना ही पेंशन मिलता है। अब घर भी टूट गया!