खेत में लगा दी क्लास…ये है सरकारी स्कूल के हालात! ना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना चेहरे पर मास्क…जिम्मेदार कुम्भकर्णीय नींद में कर रहे आराम!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। कहते हैं स्कूल शिक्षा का मंदिर होता है जहां बच्चों का बौद्धिक विकास होता है लेकिन कोरोना संक्रमण काल में जहां सरकारी और निजी स्कूल शासन के आदेश कोरोना संक्रमण से सुरक्षा मद्देनजर बंद कर दिए गए हैं तो कहीं कहीं ऑन लाइन पढ़ाई की जा रही है वहीं कोटा विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय अंतर्गत संचालित ग्राम पंचायत अटड्डा के सरकारी स्कूल प्राथमिक शाला के शिक्षक कुल जमा 12 बच्चों को खेत में बैठा कर टाईम पास करते नजर आ रहे हैं।
ये हम नहीं कह रहे बल्कि बच्चों के साथ कुर्सी पर बैठ गुलाबी ठंड में आराम फरमाते टीचर की तस्वीर साफ साफ बयान कर रही है।
भले ही कोरोना के टीके आ गए हों लेकिन कोरोना वायरस का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में बच्चों का इस तरह एक जिम्मेदार शिक्षक के सामने बिना मास्क,बगैर सोशल डिस्टेंसिंग बगैर पुख्ता इंतजाम के समूह में शिक्षा देने का प्रयास किया जाना खुद और बच्चों की जान को जोखिम में डालना, कहां तक उचित है।
हम अपने पाठकों को बतलाना चाहेंगे कि इन सरकारी स्कूलों की मॉनिटरिंग हेतु जिला और विकास खंड शिक्षा अधिकारी से लेकर उनके नीचे सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी पदस्थ हैं फिर संकुल समन्वयक फिर प्रधान पाठक होते हैं इन्हें प्रति माह सरकार द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों की मॉनिटरिंग के लिए अच्छी खासी तनख्वाह मिलती है लेकिन तस्वीरों को देखकर तो ऐसा लगता नहीं कि कोई भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहा हो!
इस तरह की तस्वीरे इतना बताने के लिए काफी है कि विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय कोटा में पदस्थ अधिकारी, शिक्षक की तरह टाईम पास कर रहे हैं उन्हें सौपी गई जिम्मेदारी से कोई सरोकार नहीं?
जरूरत है कि उच्च अधिकारी भी अपने एयर कंडीशनर कक्ष से बाहर निकलें और विकास खण्ड स्तर पर भेजे गए कागजी रिपोर्ट की तस्दीक करें ताकि कोरोना काल में सरकारी स्कूल की ऐसी तस्वीरे सामने ना आने पाए और पालकों का सरकारी शिक्षा पर कम होता विश्वास, सरकारी स्कूल शिक्षा पर बना रहे।