राजस्व विभाग के संरक्षण में,रामा वर्ल्ड पर लगा अवैध कब्जा करने का आरोप!…पीड़ित सीमांकन के लिए लगा रहा चक्कर पे चक्कर।

दिया तले अँधेरा न्याय दौलतमंदो के हाथों का खिलौने बन कर रह गया है। खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। एक बड़ी ही मशहूर कहावत है कि अक्सर “दिया तले अंधेरा” होता है यह चरितार्थ हो रही है न्यायधानी बिलासपुर में जहाँ छत्तीसगढ़ का उच्च न्यायालय स्थिति है, और इस न्याय की नगरी में न्याय का नही दौलत वालो का बोलबाला है और ये दौलत वाले कानून को अपनी रखैल समझते है जिससे इंसाफ़ इनकी मुठ्ठी में बंद होकर रह जाता है जिससे गरीब की पुकार वातावरण में ऐसे ही गूँजती है जैसे “नक्कारखाने में तूती” की आवाज़…!
ख़ास ख़बर में इस बार जो मामला प्रकाश में आया है वो एकदम ख़ास है जिसमें सम्भवतः अधिकारी बिक चुके है और फ़रियादी न्याय के लिए गुहार लगा रहा है।
वास्तव में ये मामला भी एक अवैध तरीक़े से भूमि अधिग्रहण का ही है। इतना ही नही इस अवैध भूमि अधिग्रहण में एक नामचीन बिल्डिंग कंट्रक्शन कंपनी “रामा वर्ल्ड” शामिल है ये आश्चर्यजनक तो है लेकिन सत्य भी है। क्योंकि रामा वर्ड जैसे नामचीन कंपनी का स्वामी शासन-प्रशासन को अपने हाथों में लेकर भू-माफिया के तर्ज पर निजी जमीनों पर अवैध अधिग्रहण करने में लगा हुआ है। रामा वर्ल्ड ने खसरा नंबर 1286/1,1286/2 और 1286/3 कब्जा करने के उद्देश्य से बाउंड्री वाल का निर्माण भी करा दिया है। जबकि आवेदकों द्वारा आवेदन देने के पश्चात दिनांक 23 जून 2020 “रामा रियल वर्ल्ड के खिलाफ तहसील न्यायालय ने निर्माण कार्य रोकने का आदेश भी जारी किया था। लेकिन दौलत से मग़रूर रामा वर्ड के स्वामियों ने तहसीलदार के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए उसे दरकिनार कर के निर्माण कार्य पूरा कर कानून के मुँह पर तमाचा जड़ दिया। कानून का मजाक बनते देख आवेदक सुनील प्रसाद और जगदीश सोनी हक्के- बक्के रह गए। शायद उन्होंने कानून का मजाक बनते पहली बार देखा था। लेकिन इतना सब होने के बाद भी उम्मीद उन्होंने नही छोड़ी थी,अपनी भूमि पाने ली लालसा में वे तहसील कार्यालय के लगातार चक्कर लगा रहे है पर अफसोस वहाँ भी उन्हें पेशी की तारीख ही नसीब हो रही है कोई निर्णय नही मिल रहा है।
इल्म हो कि आवेदक सुनील कुमार प्रसाद ने अपनी जमीन के सीमांकन के लिए आवेदन पत्र दिनांक 25/3/19 और तब से आज तक उक्त भूमि का सीमांकन नही किया गया है। सम्भवतः पटवारी और आर.आई भी भू माफिया याने रामा बिल्डर्स से मिले हुए है और इन्ही के इशारों पर नाच रहे है। इतना ही नही जब भी सीमाकंन करने का आदेश होता तो कोई नया बहाना बनाकर सीमाकंन को टालने के प्रयास किया जाता रहा है। जैसे आप अपनी चौहदी के आस-पास के लोगों को ढूढ़कर सीमाकंन की नोटिस को तामिल करवाइये,जबकी नोटिस तमिल करने का कार्य स्वम कोटवार, और पटवारियों का होता है लेकिन ये काम भी भू-स्वामी को स्वंय करना पड़ता है।
मानलो अगर भू स्वामी ने नोटिस तामिल भी करवा दी तो किसी ना किसी दस्तावेज नही होने का बहाना बनाकर उक्त भूमि के सीमाकंन को टाल दिया जाता है। इससे इस बात की पुष्टि हो जाती है कि भू-माफिया रामा वर्ड के लोगों से राजस्व अमला मिला हुआ है इतना ही नही जब कोटवार नोटिस देने रामा वर्ड के ऑफिस गया तो वहाँ के लोगों ने नोटिस लेने से इंकार कर दिया गया ।लेकिन नोटिस वहाँ चस्पा कर दिया गया है।
इतना ही नही आवेदक सुनील प्रसाद ने दिनांक 3/8/2020 को कलेक्टर से मिलकर फ़रियाद की लेकिन उस मुलाकात का भी कोई हल न निकल सका, अर्थात कलेक्टर भी इस मामले में हाथ डालना मुनासिब नही समझा। कलेक्टर को 3/8/2020 को मुलाकात कर शिकायत की लेकिन उनके द्वारा भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन प्रासाद जी अपनी कोशिशों में लगे रहे कि इंसाफ़ तो कही से होगा। अतः उन्होंने दिनांक 8/9/20 को एक आवेदन अनुविभागीय अधिकारी को देते हुए न्याय की गुहार लगाई जो बेअसर साबित हुई। जब इन्हें कुछ समझा नही आया कि सीमाकंन कैसे होगा और न्याय कैसे मिलेगा तो तब कही जाकर इन्होंने कुछ मीडिया वालों के पहल करने पर राजस्व अमला सीमाकंन के लिये राजी हुआ। जिसमें सीमांकन के लिए क्रं/तह/वा-1/2020/ बिलासपुर दिनांक 21-10-2020 को सीमांकन के लिए पत्र जारी किया गया जिसमें 6-11-2020 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने समय दिया परंतु राजस्व निरीक्षक द्वारा “रामा वल्र्ड” के राजेश अग्रवाल व संजय अग्रवाल को तलब किया गया था, जबकि पटवारी व आरआई जानते थे कि तहसील न्यायालय का कोई भी आदेश को लेने से वे लोग लगातार मना करते रहे है। फिर भी उसके बुलवाने का बहाना बना कर सीमांकन नहीं किया गया जबकि जगदीश सोनी, परमेश्वरी कौशिक सुनील प्रसाद व उद्योग विभाग के पटवारी भी मौके पर उपस्थित थे। सिर्फ भू-माफिया रामा वल्र्ड का बहाना बनाकर सीमांकन नहीं किया गया। अलबत्ता पटवारियों द्वारा बार-बार आवेदकों से यही कहा जाता रहा है कि आप अपनी ज़मीनों बेच दो,जब आवेदको द्वारा मना किया जाता है तब उन्हें बेवजह परेशान किया जाता है।
इतना ही नही आवेदक ने अब मामले को सुलझाने के लिए नगर विधायक शैलेष पाण्डेय जी से मिलकर अपनी समस्या से अवगत कराया गया जिसमें विधायक महोदय द्वारा 13 नवम्बर 2020 को सुनील प्रसाद के आवेदन को निराकरण करने के उद्देश्य से तहसीलदार को मार्क किया परन्तु तहसीलदार ने मज़बूरी बताते हुए 6 नवम्बर 2020 प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश निकाला परन्तु पटवारी व आरआई द्वारा प्रतिवेदन नहीं दिया गया।
नगर विधायक शैलेष पाण्डेय जी जब तहसील कार्यालय निरीक्षण करने पहुचे तो आवेदक द्वारा पुन:अपनी समस्या रखी जिसको संज्ञान में लेते हुए तहसीलदार से व एसडीएम से पूछताछ की गई तब तहसीलदार नारायण गबेल ने फिर से अपनी रजिस्ट्री पेपर आवेदन के साथ देने की बात कही गई आवेदक ने पुन: स्थगन आदेश, सीमांकन आदेश व रजिस्ट्री का पेपर तहसीलदार नारायण गबेल को दिया।
तहसीलदार द्वारा सीमांकन के लिए स्मरण पत्र जारी किया गया जिसको आरआई द्वारा रिसिंविंग देने से इंकार कर दिया गया। आरआई द्वारा बोला गया कि हम रिसिंविंग देकर फंसने का काम नहीं करते। जाइये 6 जनवरी 2021 को स्पाट पर पहुंचेंगे। आप चौहद्दी वालों को नोटिस तामिल कराइए। मौके पर सभी, भू- माफिया रामा वल्र्ड को छोडक़र सभी लोग मौजूद थे। आरआई द्वारा ये कहकर सीमांकन नहीं किया गया कि रामा वल्र्ड मौके पर मौजूद नहीं है इस लिए अभी सीमांकन नहीं होगा आगे की तरीख बताएंगे तब सीमांकन किया जाएगा। जबकि मौके पर साफ दिख रहा है रामा वल्र्ड ने कब्जा किया है। लेकिन भू-माफिया के खिलाफ कार्यवाही करने से शासन के लोग में खौफ है और आवेदक को भी अपनी जमीन बेचने के लिए शासन द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर परेशान किया जा रहा है।
इल्म हो कि ये न्यायधानी बिलासपुर से कोसो दूर है और इंसाफ मिलता भी है तो सिर्फ दौलत वालों को इस मामले से तो यही जान पड़ता है ये कोई एकलौता केस नही है ऐसे सैकड़ों केस है जो रोशनी में आये तो न्याय नही मिला और कुछ तो ऐसे मामले है जो रोशनी में ही नही आ पाए। जरा सोचो कि ऐसा न्यायालय किस काम का जो मजलूमों को इंसाफ ना दे सके। सिर्फ न्यायधानी बिलासपुर में न्याय का जलता हुआ “दिया” तो दिखाई दे रहा है,लेकिन “दिया तले कितना अंधेरा” ये किसी को दिखाई नही दे रहा हैं।