मंत्री जी…जल संसाधन विभाग नें ऐसा किया “काम” की भृष्टाचार की भेंट चढ़े चाँटापारा और सोनपुरी एनीकट की तरह… सतनाला व्यपवर्तन भी हो गया बदनाम…

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। छत्तीसगढ़ शासन के जल संसाधन विभाग के मंत्री जी सरकार के दो साल पूरे होनें पर सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं उन्हें उन धरतीपुत्रों की गुहार सुनाई नहीं देती जिनके फसलों को पानी देने के नाम पर करोड़ों रुपए की लागत के एनीकट और नहर का निर्माण जलसंसाधन विभाग पेंड्रा द्वारा कराया गया किंतु अधिकारियों की लापरवाही और कमीशन खोरी के चलते शासन की महवपूर्ण योजना भृष्टाचार की भेंट चढ़ गई और गरीब किसानों के खेतों में लगी फसलों को ना तो पानी मिला ना ही भूमि अधिग्रहण का मुआवजा,पिछले चार साल से किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
बिलासपुर जिले में ग्राम छतौना में एक नाले पर जल संसाधन विभाग पेंड्रा के अधिकारियों की देख रेख में एक एनीकट और दो नहरों का निर्माण कराया गया था। नाम रखा गया था सतनाला व्यपवर्तन योजना अभियान था लक्ष्य भागीरथी योजना। गुणवत्ता हीन निर्माण कार्य को आनन फानन में पूर्ण बता दिया गया।
सूचना पटल की मानें तो 24।04।2017 को निर्माण कार्य को पूर्ण बताया गया है दूसरी तरफ दस्तावेज में 29।04।2011 को एक
ठेकेदार को फाइनल बिल का पेमेंट किया गया और 29।05।2012 को दूसरे ठेकेदार का फाइनल बिल पेमेंट किया गया उस दौरान तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अभियंता और ठेकेदार दो दो थे।
अधिकारियों की लापरवाही से उनकी देख रेख में निर्मित एनीकट की सुरक्षा वाल पहली बारिश में ही धराशायी हो गई और नहर भी टूट गई।सोनपुरी और चाँटापारा एनीकट की तरह इस निर्माण कार्य में अधिकारियों और ठेकेदारों नें जमकर बंदरबाट और एनीकट की सुरक्षा वाल और नहर के ध्वस्त हो जाने की खबर बाहर आने नहीं दी और आनन फानन में फिर से नहर और सुरक्षा दीवार की मरम्मत में लाखों रुपए फूंक दिए गए। लेकिन भृष्टाचार की पोल प्रकृति नें दूसरी बारिश में खोल कर रख दी। एक बार फिर सुरक्षा वाल और नहर ध्वस्त हो गया। किसी ने सच ही कहा है कि इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपता।
वर्ष 2016 में दो गाँव छतौना और आमामुड़ा के आदिवासी किसानों को कृषि कार्य हेतू जल उपलब्ध कराने सतनाला व्यपर्तन योजना के तहत अभियान लक्ष्य भागीरथी के नहर निर्माण में दो ठेकेदार विश्वकर्मा फेब्रिकेटर्स मनिन्द्रगढ़ और अजय कुमार सिंह अम्बिकापुर के ठेकेदार नें जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की देख रेख में किए जा रहे निर्माण कार्य में 207.99 लाख रुपये खर्च कर दिया गया 2017 में दायीं और बायी नहर का निर्माण कार्य पूर्ण कर ठेकेदारों को पूरा पेमेंट भी दे दिया गया।
निर्माण के दौरान गुणवत्ता की देख रेख के जिम्मेदार अधिकारी पी के खरे और ए के शर्मा मुख्य कार्यपालन अभियंता थे, एस के तिवारी SDO, बी पी स्वर्णकार, ओ एच मिश्रा, और आर के बत्रा सब इंजीनियरिंग के पद पर थे बावजूद इसके निर्माण कार्य की गुणवत्ता और अधिक कमीशन के फेर में डेम की सुरक्षा दीवार और नहर फूट गई और कई किसानों की उम्मीद पर पानी फेर गई।
ग्रामीण बतलाते हैं कि डेम और नहर की दीवार पहली बार नहीं, दूसरी बार टूटी है। इस पर भी लाखों रुपए खर्च कर दिया गया बावजूद इसके गुणवत्ता हीन कार्य को अंजाम दिया गया और दीवार और नहर की दीवार एक बार फिर टूट गई और गरीब किसानों की फसल दो बार बर्बाद हुई। लेकिन वाह रे अधिकारी, खुद को और ठेकेदार को बचाने उच्च अधिकारियों को नहर और सुरक्षा की दीवार ढहने की जानकारी से अवगत भी नहीं कराया दुबारा टूटने पर भी वर्तमान में मुख्य कार्यपालन अभियंता एस के गोहिल कुछ जानकारी देने में आनाकानी कर रहे हैं।
लगता है इन्हें किसानों की पीड़ा से कोई लेना देना नहीं तभी तो टूटी दीवार अब तक मरम्मत नहीं करवाया गया।
बात यहीं खत्म नहीं होती बात किसानों की जमीन अधिग्रहण और मुआवजा को लेकर काफ़ी गंभीर है क्योंकि अधिकारियों ने किसानों की भूमि का अधिग्रहण तो किया लेकिन उसके बाद भूल गए आज भी किसान मुआवजा राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं। शायद बार बार दीवार किसानों के श्राप से टूट रही है!
फिलहाल तो कई सवाल खड़े हो रहें हैं जैसे प्रदेश में शासन स्तर के अलावा 8 गुणवत्ता नियंत्रण इकाइयां हैं जो किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने पर अधीक्षण अभियंता को रिपोर्ट करती हैं। सवाल ये कि क्या ये सभी जिम्मेदार अधिकारी ऑफिस में बैठने की तनख्वाह ले रहे हैं?
वर्तमान में एस के गोहिल कार्यपालन अभियंता,जल संसाधन संभाग पेंड्रा रोड हैं इन्होनें बताया कि अत्यधिक बरसात होने और पानी के ओवर ड्राप होने से एनीकट की सुरक्षा दीवार और कंक्रीट की केनाल ढह गई। उससे अधिक जानकारी देने से इंकार करते हुए उन्होंने आरटीआई से जानकारी लेने की सलाह दे दी।
बहरहाल इतना सब कुछ होने के बाद भी एनीकट और नहर निर्माण अपने उद्देश्य की पूर्ति में सफल साबित नहीं हो सका। मतलब ना तो किसानों कृषि उत्पादन वृद्धि के लिए पानी उपलब्ध हुआ ना पेयजल व निस्तारी का प्रयोजन में सफलता प्राप्त हुई ना ही भूजलस्तर में वृद्धि हुई। लेकिन शासन के करोड़ों रुपए भृष्टाचार की भेंट जरूर चढ़ गए, ऐसे में विभाग के लापरवाह अधिकारी एवं ठेकेदार द्वारा किए गए निर्माण कार्य की सूक्ष्मता से जांच कर दंडात्मक कार्यवाही किए जाने और गरीब किसानों को शीघ्र मुआवजा दिलाने की मांग, पीड़ित किसानों ने की है।
क्रमशः ….एनीकट सुरक्षा दीवार,पाइप लाइन नहर और कंक्रीट नहर कहाँ तक बनाई गई नहर बनाये जाने डीपीआर रिपोर्ट क्या कहती है! और उसके उपयोग से लाभान्वित किसानों ने किस तरह के रहस्य से पर्दा उठा कर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के निर्माण कार्यों की पोल खोल कर रख दी! जानेंगे….