बिलासपुर

निगम विस्तार के साथ अवैध कालोनियों के निर्माण में वृद्धि…क्रेता लगा रहे चक्कर…जिम्मेदार कुम्भकर्णीय नींद में!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। स्मार्ट सिटी बिलासपुर में नगर निगम विस्तार के साथ ही अवैध कॉलोनियों की संख्या में बेतहाशा इजाफा हो रहा है लेकिन नगर निगम और राजस्व विभाग के जिम्मेदार अफसरानों के पास इसका कोई एथेंटिक रिकॉर्ड तक मौजूद नहीं है। अवैध सही निर्माणाधीन आधे अधूरे, और पूरे हुए कालोनियों के हालात इतने बदतर हैं कि बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से महरूम खरीददार शिकायतें ले लेकर निगम और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। इसके बाद भी नगरपालिका और कलेक्टर कार्यालय द्वारा न तो वैध-अवैध कॉलोनियों का सर्वे किया जा रहा है न किसी प्रकार की कार्यवाही की जा रही है ना ही उनके पास कालोनियों का डवलपमेंट प्लान है।

कॉलोनी बसाने के लिए बकायदा सरकारी नियम बनाए गए हैं और नियमों का पालन करानें अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। कॉलोनाइजर एक्ट के प्रावधान के तहत सभी कॉलोनाइजर्स को सबसे पहले नगर निगम में रजिस्ट्रेशन शुल्क जमाकर लाइसेंस लेना होता है। हर 5 साल बाद नवीनीकरण, विकास शुल्क जमा करना होता है। कॉलोनी बसाने वाले कॉलोनाइजर को अमानत राशि नगर निगम के पास जमा करना जरूरी है। हर कॉलोनी के लिए अलग-अलग रजिस्ट्रेशन लेना होता है। कॉलोनी के क्षेत्रफल के आधार पर विकास शुल्क भी जमा करना जरूरी है। किंतु कुछ कॉलोनाइजर को छोड़कर बाकी सभी अवैध रूप से निर्माणाधीन कालोनियां के साइड में जाकर अधिकारी,रसूखदार कॉलोनाइजरों के पहुंच के आगे नतमस्तक हो जाते हैं और नजराना मिलते ही नियम कायदों की फाइल समेट लौट आते हैं जिससे ऐसा लगता है कि अधिकारियों के सांठगांठ से अवैध कालोनियां बनाई जा रही है।

अवैध कॉलोनियों को लेकर कलेक्टर के निर्देश पर कुछ कॉलोनियों के कॉलोनाइजरों को चिन्हित किया गया था। जिसके दस्तावेज अब तक कार्यवाही के इंतजार में फाइलों में कैद हैं।

कॉलोनी काटकर विकास कार्य न कराने पर एसडीएम कार्यालय से कई कॉलोनाइजर्स को नोटिस जारी किए थे। किंतु कॉलोनाइजर्स के खिलाफ प्रशासन की तरफ से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

उन्हीं अवैध कॉलोनियों में से कई ऐसी कॉलोनी भी शामिल है जिसमें गरीब किसान परिवार को कॉलोनाइजरों ने धोखे में रखकर उनकी जमीनों का डायवर्सन तक करा दिया और प्लॉट काट काटकर उनकी रजिस्ट्री कराकर,अन्य लोगों के नाम पर नामांतरण भी करा दिया,और करोड़ों रुपए कमा लिया। मामला उजागर होने के बाद भी संबंधित कॉलोनाइजरों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई अंजाम तक नहीं पहुंची।

कॉलोनियां बसाने के लिए कॉलोनाइजर बगैर रेरा पंजीकरण, बिना टीएनसीए अप्रूवल, इल्लीगल तरीके से किसानों की कृषि भूमि पर महज एग्रीमैंट पर प्लाट काट आम नागरिकों के खून पसीने की कमाई को लूटा जा रहा है साथ ही सरकारी नियम कायदों से खिलवाड़ किया जा रहा है और शासन को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है और जिला प्रशासन और नगर निगम के तमाम जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

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