आवक जावक कर्मचारी नें कहा – सूचना के अधिकार का आवेदन जिला खनिज अधिकारी पहले देखेंगे, फिर तय होगा लिया जाए या नहीं! क्या यही है सुशासन!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर।कलेक्टर कार्यालय के ठीक पीछे खनिज विभाग का कार्यालय है जहां अभी हाल ही में नए नवेले जिला खनिज अधिकारी किशोर कुमार गोलघाटे नें जॉइन किया है।लेकिन उन्होंने सूचना के अधिकार आवेदन को लेकर एक अपने कर्मचारियों के लिए एक विचित्र सा तुगलकी फरमान जारी कर रखा है कि कोई भी आवेदक यदि सूचना के अधिकार के तहत आवेदन पत्र लेकर आए तो सबसे पहले मुझे आवेदन पत्र दिखलाया जाय फिर मैं तय करूँगा कि आवेदन लिया जाएगा या नहीं!
अब साहब ले दे कर आम आदमी के पास एक सूचना का अधिकार ही बचा था उस पर भी खनिज अधिकारी रोक लगाने जैसा काम कर रहे हैं वह भी कलेक्टर के नाक के नीचे,ऐसे में तो सवाल खड़े होना लाजमी है कि क्या यही सुशासन है!
हम अपने पाठकों को बता दें कि पहले जिला खनिज अधिकारी के कार्यालय में सूचना के अधिकार का सूचना पटल ही नहीं था। हमनें ही आवेदन देकर देकर सूचना पटल लगाने पहल की थी।
मान लीजिए जिला खनिज अधिकारी कार्यालय से कही बाहर दौरे पर गए हैं तो फिर बेचारा आम आदमी सूचना का अधिकार आवेदन लेकर कहाँ जाएगा?
क्या खनिज अधिकारी के तुगलकी फरमान की वजह से आम आदमी सूचना के अधिकार आवेदन को लेकर दफ्तर का चक्कर काट काट कर सरकार को कोसेगा, ऐसे में क्या आम आदमी का सरकार पर भरोसा रहेगा?
बहरहाल कलेक्टर बिलासपुर को चाहिए कि सूचना के अधिकार आवेदन को लेकर खनिज विभाग के जिला खनिज अधिकारी के द्वारा जारी तुगलकी फरमान पर रोक लगाएं ताकि आम जनता को अपनी चुनी सरकार और सूचना के अधिकार पर और सुशासन पर पूरा भरोसा हो।