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ओल्ड स्कूल बिल्डिंग का मटेरियल बेच खाए प्रधान पाठक और संकुल समन्वयक! निष्पक्ष जांच होगी तो होगा सनसनीखेज खुलासा? देखिए वीडियो….

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। शिक्षा विभाग और उनके जिम्मेदार अधिकारी किस कदर कुम्भकर्णीय नींद में हैं इसकी बानगी या नमूना फिर मॉडल देखना चाहते हैं तो चले जाइए बिल्हा विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय अंतर्गत सरकारी स्कूल कर्मा जहाँ का नजारा देख आप खुद बखुद समझ जायेंगे की वाक़ई में सरकारी शिक्षा और बिल्डिंग राम भरोसे छोड़ दी गई हैं।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला करमा की पुरानी बिल्डिंग की जिसको प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक और संकुल समन्वयक नें लाभ हानि के चक्कर में नियम कायदे को दरकिनार करते हुए शासन के बिना अनुमोदन एवं प्रस्ताव के गुपचुप तरीके से स्कूल भवन और सहेली शाला की बिल्डिंग को तोड़ दिया और निकले मटेरियल को बेच खाए।

सोशल मीडिया में वायरल हो रहा वीडियो और फोटोग्राफ प्रधान पाठक और संकुल समन्वयक की करतूतों को उजागर करता नजर आता है। ग्रमीण हैरान हैं।

एक शिक्षक नें नाम गोपनीय रखने पर बताया कि यह एक सरकारी स्कूल है इसे तोड़ने के लिए अनुमति लेना चाहिए लेकिन कोई अनुमति नहीं ली गई, स्कूल बिल्डिंग को तोड़ कर उसमें लगा हुआ लोहे का खिड़की दरवाजा चौखट, ग्रिल,शटर को ट्रक में भरकर कबाड़ी को कबाड़ में बेच दिया गया। ये स्कूल भवन कई लाख रुपए की लागत से बना हुआ था। लाखों मटेरियल निकला था बेच दिया।

जानकारी के अनुसार इसमें पूर्व में संचालित सहेली शाला की बिल्डिंग भी शामिल था उसे भी तुड़वाकर उसका भी खिड़की, दरवाजा, ग्रिल चैनल गेट,शटर सभी को किलो के भाव में कबाड़ में बेंच दिया।

पुराना बिल्डिंग में भी लाखों रुपए की खिड़की दरवाजा ग्रिल चैनल गेट लगा हुआ था सभी को शासन के बिना सूचना पूर्व कहां बेचा,किस कबाड़ी को बेचा गया इस गड़बड़ी की किसी को खबर नहीं है।

तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि प्राथमिक शाला करमा के दैनिक वेतन भोगी सफाईकर्मी राजू कश्यप समान को ट्रक में रखवा रहा है जो साफ साफ दिख रहा है गेट के पास कंधे पर गमछा लेकर बैठा है।

जागरूक ग्रामीण कहते हैं कि यहाँ निरीक्षण के लिए जिम्मेदार अधिकारी आते रहते हैं क्या उन्हें दिखाई नहीं दिया होगा! सब सांठगांठ का खुला खेल है! क्या एक संकुल समन्वयक और प्रधान पाठक की इतनी हिम्मत है कि सरकारी भवन को बिना अनुमति तोड़ दें और निकले मटेरियल को दिन दहाड़े बेच दें!

बहरहाल शिक्षकों यह कृत्य जानबूझकर लापरवाही के साथ षड्यंत्र पूर्वक किया गया लगता है ऐसे में शासन के आदेशों की उपेक्षा करनें वाले शिक्षकों के इस कृत्य की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जांच उपरांत दोषियों पर विधि सम्मत कार्यवाही करते हुए राशि की रिकवरी भी होनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक इस तरह की लापरवाही करनें से बाज आए।

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