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सरकारी स्कूल और समय से पूर्व छुट्टी दिए जाने का मामला…प्रधान पाठिका नें कहा…!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। हम अपने पाठकों को बता दें कि स्कूल शिक्षा विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के मुखिया मतलब मुख्यमंत्री के पास है और सरकार सरकारी स्कूलों में शिक्षा सुधार के लिए लगातार प्रयासरत है।

दूसरी ओर जिले के कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम की टीम,बीईओ, डीईओ और जेडी स्वयं अपनी टीम के साथ सरकारी स्कूलों का अचौक निरीक्षण कर रहे हैं।

इसके अलावा संकुल प्राचार्य,संकुल समन्वयक और प्रधान पाठकों की स्कूल संचालन को लेकर जिम्मेदारी तय है कि उनके क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में मनमानी ना हो।

बावजूद इसके विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय तखतपुर अंतर्गत संचालित शासकीय शालाओं के हालात, हकीकत से उलट है और बेहतरी का दिखावा करते नजर आते हैं।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं शासकीय प्राथमिक शाला काठाकोनी की।जहाँ कल दिनाँक 15/10/24 को हमने देखा कि स्कूल में बच्चों की दर्ज संख्या मात्र 30 है और 30 बच्चों पर एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं पूरे चार शिक्षक पदस्थ हैं। शासन के नियमानुसार तीन शिक्षक अतिशेष की श्रेणी में आते हैं।

यहाँ स्कूल सुबह 10 बजे से सायं 4 बजे तक लगता है। 3 बजकर 45 मिनट में कुछ बच्चे स्कूल परिसर में खेलते नजर आ रहे थे। हमनें देखा दो शिक्षक अनुपस्थित हैं और प्रधान पाठिका द्वारा समय से पूर्व मतलब 4 बजे से पूर्व बच्चों को छुट्टी दे दी हैं।

जब सवाल पूछा गया तो मेडम नें सीधा सा जवाब दिया कि 25 बच्चे आए थे खेल कूद अंतिम पीरियड होता है एक शिक्षिका हाफ सीएल लेकर गई है जब हमनें बताया कि 3 बजकर 50 मिनट हो रहे हैं तो उन्होंने कहा कि हमारे स्कूल की घड़ी में तो 4 बज चुके हैं तो हमनें छुट्टी कर दी।

बावजूद इसके यहाँ आने वाले बच्चों को शासन की तमाम योजनाओं जैसे मध्यान भोजन, गणवेश, छात्रवृत्ति, किताबें,कॉपी आदि का लाभ निःशुल्क मिलता है। लेकिन एक सवाल बार बार आता है कि क्या बच्चे स्कूल, शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ लेने आते हैं!

सच तो यह है कि गरीब पालक अपने बच्चों को ऊंची फीस देकर निजी स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते, ऐसे में बच्चे सरकारी स्कूल पढ़ने आते हैं और शिक्षक पढ़ाने?

बहरहाल मुख्य मार्ग जहाँ से कलेक्टर, एसडीएम, जिला शिक्षा अधिकारी, जेडी और जनप्रतिनिधियों का रोज का आना जाना है,ऐसे में मुख्यमार्ग पर स्थापित सरकारी स्कूल के बच्चों की नियम विरुद्ध समय से पूर्व छुट्टी कर दी जाय और स्थानीय लोग चुपचाप देखते रहे तो ऐसी लचर व्यवस्था और प्रशासनिक स्तर के जिम्मेदारों पर सवाल खड़े होना लाज़मी है।

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