दुर्भाग्य से स्वच्छता की बयार,स्वच्छता अभियान दफ्तर से निकल कर, स्वच्छ कागजों से होते हुए धरातल पर कितनी असरदार नजर आती है इसका जीता जागता उदाहरण है साइंस कॉलेज मैदान, ये उन जिम्मेदार व्यवस्थापक,अधिकारी, जनप्रतिनिधियों, के लिए बड़ा सबक है जो अपने कर्त्तव्य के प्रति ना सिर्फ उदासीनता बरत रहे हैं बल्कि स्वच्छ अभियान को आम जनता के बीच मजाक बना दिया है। स्वच्छता अभियान के बावजूद स्वच्छता से कोसों दूर नजर आता है, साइंस कॉलेज का मैदान!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। जब हम स्वच्छ भारत और स्वच्छता अभियान की बात करते हैं तो सीपत रोड़ पर मुख्य मार्ग पर स्थित साइंस कॉलेज मैदान की बात सबसे पहले करेंगे।
यहाँ प्रतिदिन सुबह 4 बजे से लेकर यहाँ सुबह की सैर करने वाले,क्रिकेट, फुटबॉल, बॉलीबाल, बास्केटबॉल, गोला फेक,जूडो कराटे, बैडमिंटन, स्केटिंग और दौड़ लगाने वाले लोगों का आना जाना शुरू हो जाता है सैकड़ों लोग अपने सेहत को लेकर यहाँ इसी उम्मीद से आते हैं। लेकिन यहाँ हर कदम पर पसरी गंदगी,शराब की टूटी फूटी बोतल और कांच के बिखरे टुकड़े, यहाँ के वातावरण को भी दूषित कर रही है।
नाटू काका नाकभौं सिकोड़ कर कहते हैं कि यहाँ के व्यवस्थापक तो धृतराष्ट्र से भी गए गुजरे हैं बड़े बड़े ओहदे में विराजमान अधिकारियों का यहाँ रोजाना आना जाना है लेकिन वह भी देखकर अनदेखी करते हैं वजह चाहे जो भी हो। साफ सफाई होनी चाहिए।
शारीरिक दक्षता के होने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को भी यहाँ पसरी गंदगी के बीच अभ्यास करते पसीने से लथपथ देखा जा सकता है। चारों ओर शासन द्वारा प्रतिबंधित पॉलीथिन, बेवजह उगे खरपतवारों की अलग अलग किस्में,गाय का गोबर,बदहाल व्यवस्था की चुगली करती नजर आती है।
साइंस कॉलेज मैदान में स्ट्रीट लाइट, शौचालय, पानी इत्यादि की सुविधाएं तो हैं किंतु आगंतुकों के लिए ना तो शौचालय के दरवाजे पर लगे ताले खुलते हैं ना पीने के पानी के लिए कोई नल कनेक्शन दिखाई देता है।
मजे की बात यह कि यदि कोई जागरूक आम आदमी इस बात की शिकायत करना भी चाहे तो किस से कहाँ जाकर करे ना कोई सूचना पटल लगा है ना ही कोई जानकारी ना व्यवस्थापक का नाम,पद, मोबाईल नम्बर ऐसे में सफाई व्यवस्था का भगवान ही मालिक है।
इस मैदान में चार हेलीपैड की संरचना दिखाई देती है यदि यह हैलीपेड है तो यहाँ राज्य सरकार के मंत्री उतरते ही होंगे। ऐसे में यहाँ की व्यवस्था को लेकर कोई टीका टिप्पणी का नहीं होना कई सवाल खड़े करते हैं।
जीर्णशीर्ण मंच,टूटे फूटे झूले,और व्यायाम के सामान जिन्हें आज तक ठीक नहीं किया गया है बावजूद इसके आने वाले लोग उसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
आज ही कुछ जागरूक लोग चर्चा कर रहे थे कि यहाँ के व्यवस्थापक जो हैं वो सिर्फ मैदान को किराए पर देकर एक मोटी रकम वसूल रहे हैं उन्हें साफ सफाई से कोई मतलब नहीं!
बहरहाल मैदान में चहुँओर पसरी गंदगी यहाँ के व्यवस्थापक की उदासीनता की पोल खोलती नजर आती है वहीं दूसरी ओर स्थानीय प्रशासन कागजों में स्वच्छ भारत अभियान चला रहा है जरूरत है समय रहते जागने की ताकि यहाँ आने वाले लोग स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें।
सवाल- आखिरकार मैदान में होने वाले आयोजन का पैसा जाता कहाँ ? क्रमशः……