बिलासपुर

जिला प्रशासन की सख्त कार्रवाई और बिल्हा बीईओ को शोकॉज नोटिस के बाद भी सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के रवैये में सुधार नहीं…आज फिर एक सरकारी स्कूल समय से पूर्व बंद मिला…!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर:- कलेक्टर बिलासपुर का निर्देश पर जिला प्रशासन की टीम का अगस्त महीने में सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों पर सख्त कार्रवाई की गई और बिल्हा बीईओ को शोकॉज नोटिस भी जारी किया गया उसके बाद भी सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों के रवैये में सुधार नजर नहीं आ रहा है…आज फिर एक सरकारी स्कूल समय से पूर्व बंद मिला है ऐसे में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था कैसे सुधरेगी यह बड़ा सवाल खड़े होता है।

जी हाँ हम बात कर रहे हैं विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा अंतर्गत संचालित प्राथमिक शाला बंधवापारा डगनियाँ की जहाँ एक प्रधान पाठक हैं और एक शिक्षक पदस्थ हैं जो 3 बजकर 50 मिनट में शिक्षक बच्चों की छुट्टी कर स्कूल में ताला लगा कर सड़क पर खड़े होकर फोन पर किसी से बतियाते नजर आए। हमनें समय से पूर्व स्कूल की छुट्टी करनें की वजह पूछा तो कहने लगे कि प्रधान पाठक बीमार हैं मैं अकेला शिक्षक हूँ,डाक देना है।

शिक्षक जिनका नाम गोविंद सूर्यवंशी है उन्होंने बताया कि इस स्कूल में 91 बच्चे दर्ज हैं 74 आए थे डाक देना है इसलिए 10 मिनट पहले छुट्टी दे दी गई है।

वहीं एक दूसरा स्कूल प्राथमिक शाला गोपालपुर जहां एक प्रधान पाठक और दो शिक्षक पदस्थ हैं यहाँ कुल दर्ज 33 बच्चों में 15 ही उपस्थित थे लेकिन एक शिक्षक सुशील टोप्पो दोपहर 2 बजकर 30 मिनट में छुट्टी लेकर चले गए थे इनका हस्ताक्षर पाठ्यांक में दर्ज था। मतलब तनख्वाह पूरी मिलना तय था।

प्राथमिक शाला बंधवापारा डंगनिया के छुट्टी की वजह डाक था तो हमने संकुल समन्वयक मनोज खांडे से फोन पर बात की,तब उन्होंने कहा कि डाक को लेकर स्कूल समय पूर्व बंद नहीं करना चाहिए गलत है, मैं कल बात करता हूँ।

इस संकुल में प्राथमिक और मिडिल कुल स्कूल 8 स्कूल हैं और इन सभी स्कूलों की मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी संकुल समन्वयक और संकुल प्राचार्य की है। उसके बाद सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी फिर विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी बनती है।

बहरहाल सरकारी शिक्षा को लेकर सरकार और जिले के कलेक्टर कितने भी संजीदा हों लेकिन जब तक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और शिक्षक अपने अपने कर्तव्यों को लेकर संजीदा नहीं होंगे तब तक सरकारी शिक्षा यूँ ही बदनाम होते रहेगी!

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