एक सरकारी स्कूल में 155 बच्चों को शिक्षित करने के लिए महज एक शिक्षक…धरातल में शिक्षा का अधिकार कानून तोड़ रहा दम…ना बीईओ को चिंता…ना एसडीएम को फ़िकर…डीईओ कुम्भकर्णीय नींद में!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर/विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय तखतपुर अंतर्गत संचालित प्राथमिक शाला राजपुर, संकुल केंद्र राजपुर के सरकारी स्कूल का हाल बेहाल है।
इस सरकारी स्कूल में 155 बच्चों को शिक्षित करने के लिए महज एक शिक्षक नें मशाल जला रखी है। ये नवनिहाल शिक्षा जैसे मूलाधिकार से वंचित हैं। यहाँ अध्ययनरत बच्चों के माता पिता भी उनके उज्ज्वल भविष्य को लेकर जो सपने संजोए होंगे वह भी साकार होने जैसा नहीं नजर आता। जिम्मदारों की लचर शिक्षिकीय व्यवस्था शिक्षा का अधिकार कानून की धज्जियाँ उड़ाता नजर आता है।
हम अपने पाठकों को बता दें कि यहाँ प्रभारी विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी तखतपुर के रूप में जितेंद्र शुक्ला पदस्थ हैं। बावजूद इसके इन मासूम बच्चों को शिक्षा के अधिकार का लाभ ना मिलना अधिकारी का उदासीन रवैया और लापरवाह कार्यशैली का प्रमाण है।
विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा शिक्षिकीय व्यवस्था नहीं करनें से बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं। बच्चों का भविष्य अंधेरे में जा रहा है।
शिक्षा के जानकार कहते हैं कि जिम्मेदार शिक्षा अधिकारियों को भुलाना नहीं है कि इन मासूम बच्चों के लिए शिक्षकों की व्यवस्था उनकी जिम्मेदारी है स्कूल में शिक्षक होंगे तब तो बच्चे शिक्षित होंगे!
इस सरकारी स्कूल का इकलौता प्रभारी प्रधान पाठक ही 155 बच्चों का खेवनहार शिक्षक है। जो पहली से पांचवीं तक की क्लास लेता है। यहाँ कक्ष का अभाव है। जैसे तैसे बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। एकलौते प्रधान पाठक ने बताया कि शिक्षक व्यवस्था के लिए संकुल समन्वयक सहित उच्च अधिकारियों को पंचायत प्रतिनिधियों ने कई बार अवगत कराया है अब तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
अंत में बस इतना ही कि शिक्षा के जानकर कहते हैं कि प्रदेश सरकार के शिक्षा सचिव बिलासपुर जिले में संचालित तमाम सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों की संख्या और बच्चों की दर्ज संख्या की ईमानदारी से जांच करवा लें और फिर शेष और अतिशेष शिक्षकों को शासन स्तर पर स्थानन्तरित कर दें। समस्या का हल हो सकता है।
बहरहाल पूरी तनख्वाह के साथ जिन अधिकारियों के कांधे पर शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी है क्या वो खबर को संज्ञान में लेकर कोई ठोस कदम उठाएंगे ताकि सरकारी स्कूल में अध्ययन रत नवनिहाल बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सके।