बच्चों को ईमानदारी का पाठ कैसे पढ़ाऊँ! पार्षद की दबंगई कैसे बर्दाश्त करूँ…राजस्व विभाग की लचर व्यवस्था से कैसे लडूं… एक शिक्षक का कलमकारों की चौखट पर आकर कुछ इस तरह से छलका दर्द!

प्रेस क्लब आकर पेशे से एक शिक्षक का व्यवस्था को लेकर दर्द कुछ इस तरह छलका कि शासन प्रशासन की लचर व्यवस्था की पोल खुल गई। शिक्षक कहते हैं कि मेरी स्टोरी 6 माह पहले शुरू होती है। मेरी 80 डिसमिल जमीन पर एक पार्षद द्वारा जबरदस्ती कब्जा किए जाने, गुंडागर्दी दबंगई कर जमीन को हड़पनें से शुरू होती है। जमीन को बचाने मैं थाने में जाकर आवेदन देता हूँ थाने वाले कोई कदम उठाने की बजाय मुझे राजस्व विभाग भेज देते हैं। इधर सीमांकन करनें की बजाय आरआई मुझे बार बार चक्कर लगवाता है मेरी जमीन के आस पास के लोगों का सीमांकन हो जाता है फिर भी आरआई सीमांकन को लेकर टालमटोल जारी रखता है।
थक हार कर मेरे द्वारा आरआई से सौदा किया जाता है कि आप सीमांकन करनें का क्या लोगे!
आरआई तीन लाख रुपए बताता है लेकिन ढाई लाख रुपए में सौदा तय होता है मेरे द्वारा एसीबी की मदद ली जाती है और आरआई रंगेहाथों रिश्वत खोरी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया जाता है।
लेकिन अब पार्षद की दबंगई का क्या करूँ!अब अपनी जमीन पर से पार्षद का कब्जा हटवाने किसके पास जाऊं कौन करेगा न्याय!
खबर खास छत्तीसगढ़बिलासपुर/ बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकार वार्ता के दौरान प्रार्थी प्रवीण कुमार तरुण ने अपनी ज़मीन को लेकर पूरी कहानी बताई.. प्रवीण कुमार तरुण ने बताया कि जूना बिलासपुर पटवारी हल्का के अन्तर्गत तोरवा क्षेत्र में उसकी जमीन है जिसमे गणेश नगर के पार्षद इब्राहिम खान (अब्दुल खान) की नियत खराब हो चुकी थी.जमीन की खरीदी-बिक्री के संबंध में पार्षद अब्दुल ने उनसे संपर्क किया था लेकिन उनके मना करने के बाद से ही वार्ड पार्षद जमीन हड़पने की साजिश रचने लगा.. इस दौरान उसने प्रार्थी के जमीन पर दीवार खड़ी करने की भी कोशिश की थी.. विवाद बढ़ता देख प्रार्थी प्रवीण कुमार तरुण ने स्टे लेने का प्रयास किया ताकि अपनी जमीन का सीमांकन कराकर उसे सुरक्षित करने का सोचा लेकिन लंबे समय तक प्रयास के बाद भी उसके जमीन का सीमांकन नहीं हो पा रहा था, बार-बार आवेदन अधिकारियों से रिक्वेस्ट के बाद भी जब सीमांकन नहीं हो पाया तो उसने आरआई संतोष देवांगन से खुलकर पूछा कि, आखिर काम क्यों नहीं हो पा रहा है.. जिसके बाद आरआई नें सीमांकन के बदले 3 लाख रुपए की डिमांड की..ढाई लाख रुपए में सौदा तय हुआ। 1 लाख रुपए सीमांकन के पहले देने के लिए आरआई ने प्रवीण कुमार तरुण से कहा, इसके बाद बाकी पैसे जमा करने की बात आरआई ने कही थी..
इसके बाद शिक्षक प्रवीण कुमार तरुण ने एसीबी को शिकायत की, एसीबी ने जाल बिछाकर आरआई सन्तोष देवांगन रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा। लेकिन भूमि की समस्या का हल अब भी नहीं हुआ।
मैं एक शिक्षक हूँ, स्कूली बच्चों को क्या यह शिक्षा दूं, कि यदि कोई काम ईमानदारी से नहीं होता है तो कुछ ले दे कर निपटा लेना चाहिए?
शिक्षक नें मीडिया के माध्यम से न्याय की गुहार लगाकर पार्षद पर भी कार्रवाई की मांग की है…उन्होंने कहा की कल को अगर मुझे कुछ हुआ तो इसकी पूरी जवाबदारी जिला और पुलिस प्रशासन के साथ साथ पार्षद की भी होगी….?