मनमौजी पटवारी…!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। राजस्व प्रमुख जिला कलेक्टर नें राजस्व विभाग में पटवारियों का थोक के भाव से स्थानांतरण किया था। वजह जो भी हो इसके बाद आम जनता को लगा कि उनकी समस्या हल होगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं! स्थानांतरण के बाद भी आम जनता की समस्या सुलझने का नाम नहीं ले रही है।
सेमरताल का पंचायत भवन
बिलासपुर तहसील के नए नवेले पटवारी भी अब अपना रंग दिखलाने लगे हैं मनमानी करने पर इस कदर उतारू कि कलेक्टर के आदेश का भी पालन नहीं किया जा रहा है। पटवारियों की मनमानी के चलते पूरे प्रदेश में राजस्व विभाग की किरकिरी हो रही है। इसलिए एक बिलासपुर का राजस्व विभाग एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है।
मालूम हो कि बिलासपुर में राजस्व विभाग में खास कर पटवारियों को शहर से गांव और ग्रामीण इलाकों से शहर लाया गया है शायद इस सोच के साथ कि ये कुछ तो नियम कायदों का ख्याल रखेंगे लेकिन बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुब्हान अल्लाह… वाली कहावत चरितार्थ रहे हैं।
नियमानुसार बिलासपुर तहसील के पटवारियों को मुख्यालय में कार्यालय रखना है किन्तु पटवारी युगान्त सिंह क्षत्री जिन्हें पटवारी हल्का नम्बर 23 कोनी का अतिरिक्त प्रभार और पटवारी हल्का नम्बर 24 सेमरताल दिया गया है कार्यालय का अतापता ही नहीं है।
अशोक नगर बिरकोना रोड मुस्कान भवन के आगे मुन्शीराम जायसवाल के मकान में पटवारी कार्यालय
सेमरताल के ग्रामीणों नें बताया कि पटवारी साहब ज्वाइन करनें आए थे सेमरताल ग्राम पंचायत भवन में उसके बाद से उनका पता नहीं, हाँ अगर कुछ काम हो तो अशोक नगर बिरकोना रोड मुस्कान भवन के आगे मुन्शीराम जायसवाल के मकान में बने पटवारी कार्यालय में संपर्क किया जा सकता है। यहाँ भी पटवारी कार्यालय की पहचान संबंधित कोई सूचना पटल नहीं लगा है।
ग्रामीणों की शिकायत है कि नियमानुसार सेमरताल ग्राम के ग्राम पंचायत भवन में पटवारी को ग्रामीणों के लिए कार्यालय खोल काम करना चाहिए लेकिन सेमरताल के पटवारी युगांत सिंह क्षत्रिय कलेक्टर के आदेश को अनदेखा कर पटवारी कार्यालय को अशोक नगर बिरकोना रोड में खोल दिया है ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है?
सवाल यह है कि यदि सेमरताल के किसानों को पटवारी साहब से कोई काम हो तो लगभग 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय करना होगा अब साहब वो भी पटवारी साहब से काम कराना होगा तो आना होगा, इनके लिए जब कलेक्टर का आदेश कोई मायने नहीं रखता तो ग्रामीणों को तो ये अपनी जूती की….
हालांकि की पटवारी साहब का पक्ष जानने हमनें उन्हें फोन लगाया किन्तु उन्होंने फोन रिसीव करना जरूरी नहीं समझा।
यदि पटवारी को दो हल्के मिले हुए हैं तो नियमानुसार दोनों मुख्यालय में ग्रामीणों के लिए दिन व समय तय होना चाहिये।
अब देखना होगा कि पटवारी साहब नियमानुसार सेमरताल में बैठकर आम जनता का राजस्व संबंधी काम कहाँ करते हैं?
बहरहाल देखना है कि राजस्व प्रमुख मनमौजी पटवारी पर क्या कार्यवाही करते है। इन पर यदि सख़्त एक्शन नहीं लिया गया तो बाक़ी पटवारियों के भी हौसले बुलंद होते जाएँगे।