शिक्षा अधिकारी कुम्भकर्णीय नींद में…तनख्वाह खोर शिक्षक नदारत और मुफ़्त में मिलने वाली सरकारी शिक्षा का हाल बेहाल…!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर/ सरकारी स्कूलों में पदस्थ शिक्षकों को तनख्वाह सरकार देती है ताकि वे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं मुफ़्त में शिक्षा प्राप्त कर अपना भविष्य गढ़ सकें। निजी स्कूलों की तरह उनके पालकों को भारी भरकम फीस की वजह से उन्हें शिक्षा से वंचित ना करना पड़े। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत उन्हें शिक्षा मिल सके। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य भी उज्ज्वल हो। लेकिन आज भी कुछ सरकारी स्कूलों में पदस्थ तनख्वाह खोर शिक्षक, शिक्षा अधिकारियों के उदासीन रवैये के चलते स्कूलों में मनमानी करने पर उतारू हैं।
दरसल हम बात कर रहे है न्यायधानी बिलासपुर शहर से लगे शासकीय प्राथमिक शाला, स्वर्ण जयंती नगर लोखंडी स्कूल की जो विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय तखतपुर एवं संकुल केंद्र सकरी अंतर्गत संचालित हो रहा है।
इस सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षक तनख्वाह तो बच्चों को शिक्षा देने के नाम पर लेते हैं लेकिन खुद नदारत रहते हैं। ऐसे में बच्चे स्कूल तो आते हैं शिक्षकों की अनुपस्थिति में शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। नदारत शिक्षकों का भेद खुल जाने के डर से प्रधानपाठिका नें शिक्षक उपस्थिति पंजी दिखलाने से इंकार कर दिया।
स्कूल में पसरी गंदगी स्वच्छ भारत मिशन अभियान की धज्जियाँ उड़ाती नजर आती है और शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता का प्रमाण देती है। दूसरी तरफ किचन और शौचालय को देख कर भी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
मेनू के अनुसार नहीं मिलता भोजन
पालकों और स्कूल में अध्ययनरत बच्चो का कहना है कि मीनू के अनुसार भोजन नहीं पकाया जाता मंगलवार के दिन स्कूल में चांवल ,दाल, पापड़,आचार और पंचरत्न दाल मिलना था किन्तु बच्चो को चांवल दाल और लौकी की सब्जी रोज दे रहे है। स्कूल में पदस्थ प्रधान पाठिका अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रही हैं।
इस शासकीय स्कूल में शौचालय तो हैं जिसका उपयोग सिर्फ शिक्षक करते हैं बाकी समय इस पर ताला जड़ा होता है।
मध्यान्ह भोजन कक्ष का नजारा
स्थानीय लोगों और पालकों की मानें तो यहाँ पदस्थ शिक्षको को बच्चों की शिक्षा और स्कूल से कोई लेना देना नहीं है उनको तो शासन से हर महीने मिलने वाली तनख्वाह से मतलब है जिस कारण शिक्षा के मंदिर में मुफ़्त की शिक्षा ग्रहण करने आने वाले बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रहे हैं।
मीडिया से ग्रामीणों ने कहा
लोखंडी के ग्रामीणों ने जब मीडिया को देखा तो उन्हें लगा कि शिक्षा विभाग के उदासीन अधिकारी तो स्कूल निरीक्षण करने आते नहीं चलो मीडिया के माध्यम से ही उन जिम्मेदार अधिकारियों तक स्कूल की समस्या को उन तक पहुँचाया जाय। ग्रामीणों ने कहा की शिक्षा नाम मात्र का है और शासन के नियम अनुसार मध्यान्ह भोजन नहीं दिया जा रहा है..स्कूल में पूरी तरह से मनमानी की जा रही है…शिक्षक भी अपनी मर्जी के मालिक है जब मन करता है तब आते है और चले जाते है।
बहरहाल दर्ज 155 बच्चों में महज ही कुछ बच्चे ही स्कूल में नजर आए। प्रधानपाठिका और एक शिक्षिका की उपस्थिति यहाँ पदस्थ शिक्षकों की अनुपस्थिति स्थानीय लोगों की शिकायत को पुष्ट करता है वहीं प्रधानपाठिका का शिक्षक उपस्थिति पंजी स्थानीय लोगों और मीडिया को दिखाने से इंकार करना अपने आप में शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता नजर आता है जरूरत है कि संकुल समन्वयक, विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी,जिला शिक्षा अधिकारी स्कूल का निरीक्षक करें ताकि स्कूल में अध्ययनरत बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित ना हो शासन की योजनाओं का पूरा लाभ मिले और तनख्वाह खोर शिक्षक अपनी ड्यूटी ईमानदारी से पूरी करें।