आखिर कौन है किरायदार? क्यों है फरार! फर्नीचर के अवैध कारखाने में क्या है उसका किरदार!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर/कोटा के फिरंगी पारा में किराए के मकान में फर्नीचर का अवैध कारखाना वाली खबर जांच अधिकारी की उदासीनता के चलते सुर्खियों में है, मालूम हो कि यहाँ किराए के मकान में बहुतायत में सागौन सिलपट और फर्नीचर का जब्त किया गया था और वनविभाग की छापामार कार्यवाही के पांच दिन बीत गए लेकिन फर्नीचर के अवैध कारखाना को संचालित करनें वाला मुख्य “सरगना”और मकान मालिक और उसके किराएदार अब तक वनविभाग की पकड़ से कोसों दूर हैं या फिर उसे जानबूझकर कर दूर रखा जा रहा है?
सूत्रों के हवाले से खबर निकल कर आ रही है कि किराएदार ही मुख्य सरगना है? अब किराएदार कौन है इस बात का पता ना तो जांच अधिकारी बता रहे हैं ना ही एसडीओ और ना ही डीएफओ को मालूम?
स्थानीय लोग दबी जुबान से कहते नजर आते हैं कि इस मामले में मुख्य सरगना को बचाने वन विभाग के अधिकारी किसी बढ़ाई को बलि का बकरा बनाने की फिराक में हैं जबकि मुख्य सरगना का जिक्र भी जांच अधिकारी नहीं करना चाहते। ना ही अधिकारी इस गंभीर मामले पर कुछ कहना चाहते।
किराएदार जिसके सामने जिसके आते,जाते,रहते उठते बैठते इस गोरखधंधे को बेखौफ अंजाम दिया जा रहा था विवेचना में उसका नाम सामने नहीं आ रहा या जांच अधिकारी जान कर भी बताना नहीं चाहते?
पिछले दो दिनों से किरायदार के विषय में जानने मीडिया वनविभाग के कार्यालय का चक्कर लगा रहा है, अधिकारी जवाब देने के डर से कार्यालय छोड़कर भाग रहे हैं क्यों, आखिर कौन है किराएदार? क्या है उसका किरदार!
फ़िलहाल तो जांच अधिकारी 5 दिन बाद भी विवेचना विवेचना के खेल खेल कर टाइम पास में लगे हैं।
तनख्वाह खोर जिम्मेदार अधिकारी के पास के पास सिर्फ मुखबिर की सूचना पर बरामद लकड़ियों का ढेर है,ना आरोपी हैं ना किराएदार ना मकान मालिक बस इसी वजह से वन विभाग के जांच अधिकारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं?
सच तो ये है कि वनविभाग के नाक के नीचे अपराध हो रहा था अधिकारी चैन की बाँसुरी बजा कर चैन की कुम्भकर्णीय नींद में सो रहे थे या सोने का नाटक कर रहे थे,नींद में खलल मुखबिर नें डाल दी अब तो जागो और आरोपियों पर कार्यवाही करो?
जरूरत है सच सामने लाने की,उच्च अधिकारियों के दखल की, ताकि भविष्य में इस तरह से अवैध फर्नीचर के कारखाने संचालित करने वाले को वन अधिकारी की कार्यवाही का ख़ौफ़ हो।
क्रमशः …….