गांव का दुर्भाग्य….ना प्रशासन का सहयोग… ना जनप्रतिनिधियों का साथ…फिर भी ग्रामीण कर रहे विरोध!

खासखबर खबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। बिलासपुर में उच्च न्यायालय के स्थापना के बाद इसे न्यायधानी के नाम से पुकारा जाने लगा जिससे जनता की उम्मीद बढ़ी कि उच्च न्यायालय स्थापित हो जाने से किसी भी प्रकार का जनता के साथ अन्याय होने पर शासन और प्रशासन तत्काल कार्यवाही करेंगे लेकिन ऐसे बहुत से मामले निकल कर सामने आए जिसमें आम जनता के साथ घोर अन्याय हुआ और गरीब पीड़ित जनता की आवाज ना तो शासन ने सुना ना प्रशासन नें, गरीब आवाज उठाते रह गए।
ऐसे ही कई जनहित के मामले रतनपुर तहसील ग्राम पंचायत खैरखुँडी बिलासपुर एसडीएम कार्यालय अंतर्गत सुर्खियां बटोर रहा है जो शासन और प्रशासन के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता नजर आता है।
जी हां हम बात कर रहे हैं रतनपुर थाना अंतर्गत ग्राम पंचायत खैरखुँडी की जहाँ के ग्रामीण पिछले कुछ महीनों से काफी परेशान हैं ग्रामीणों के अनुसार यहां खनिज विभाग की अनुमति से पत्थर पहाड़ में अस्थायी लीज पत्थर खदान में चट्टानों को तोड़ने के लिए मिली है किंतु खदान ठेकेदार अवैध रूप से बारूद का इस्तेमाल कर चट्टानों को
विस्फोट से तोड़ रहा है जिससे उनके घरों और उनकी दीवारों में दरार पड़ रही है लेकिन बेशर्म प्रशासन इनकी शिकायतों पर कार्यवाही किए जाने की बजाय ठेकेदार द्वारा संचालित अवैध खदान ठेकेदार को बचाने में जुटा है उसे शासन की योजनाओं के तहत बने ग्रामीणों के दरकते मकानों की चिंता नहीं है।
दूसरा मामला रेत के अवैध खनन से जो खारुन नदी पर किया जा रहा है ग्रामीणों का कहना है कि रेत का खनन NH सड़क निर्माण ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है जिससे गांव की सड़क बदहाल हो रही है। ठेकेदार के लोगों का कहना है कि पहले भी शिकायत दर्ज करा चुके हो कुछ नहीं हुआ अब भी कुछ नहीं होगा। जहां शिकायत करना हो कर दो।
ग्रामीणों ने विरोध में उत्तखनन स्थल पर धरना दे रहे हैं। लेकिन अब तक कोई प्रशासनिक अधिकारियों ने ग्रामीणों की समस्या को सुनने जानने की जहमत नहीं कि है।
तीसरी घटना शासकीय उचित मूल्य के राशन दुकान की है जहां गरीबी रेखा अंतर्गत शासन की खाद्यान योजना के तहत राशन कार्ड धारी हितग्राहियों के तीन महीने का राशन, दुकानदार बेच खाया शिकायत पर जांच में मामला सही पाया गया। कार्यवाही अब तक लंबित है।
आप भी तस्वीरों को देखकर हैरान और परेशान हो जाएंगे,की आखिर में ये हो क्या रहा है,किसके दबाव में जिला और पुलिस प्रशासन नें अपनी आंखें मूंद रखी है।
ग्रामीण सवाल उठा रहें हैं कि क्यों प्रशासन कार्यवाही नहीं कर रही है?
ग्रामीणों की आंखों के सामने ही नियम विरुद्ध पहाड़ो का सीना छलनी किया जा रहा है,पहाड़ो को तोड़ने बेख़ौफ़ बारूद लगाते समय भी इन सफेदपोश लोगों को कानून का डर नहीं क्यों?
गरीबों के खून पसीने की कमाई से तिनका तिनका जोड़ कर बनाये आशियाने उनकी ही आँखों के सामने उजड़ रहे, दरकती दीवार देख इनका दिल पसीज रहा है लेकिन ठेकदार और अफसरो को सिर्फ और सिर्फ इस पहाड़ से निकलता बेहिसाब पैसा दिख रहा है और अवैध पैसो के लालच में गरीबों की पुकार सुनाई नहीं देती।
आपको बता दे कि रतनपुर के अंतर्गत गांव खैरखुनडी में ब्लास्टिंग का खेल अब तक जारी है,और इन दिनों खदान पर ब्लास्टिंग का करने का खेल कोई और नही बल्कि खुद जिला और पुलिस प्रशासन की शह पर ठेकेदार कर रहा है,ग्रामीणों का आरोप है कि जिला और पुलिस प्रशासन को ठेकेदार के तरफ से मोटी रकम बतौर नजराना मिल रही है।
दरसल बात यह है कि पेंड्रीडीह से लेकर कटघोरा नेशनल हाइवे बन रहा है,जिसमे गिट्टी का उपयोग होना है और ऐसे में अगर गिट्टी एक नंबर से खरीदा जाएगा तो परिवहन और गिट्टी की क़ीमत अर्थात ज्यादा पैसा लगेगा लेकिन शासन और प्रशासन से सांठगांठ से चोरी किया जाएगा तो कम पैसो में पूरा काम हो जाएगा, यही वजह है कि ठेकेदार ने जिला और पुलिस प्रशासन के अमले को पैसो से खरीद लिया है,और पहाड़ो में अपनी मनमानी कर रहा है,हर दिन सुबह से लेकर शाम तक सिर्फ ब्लास्टिंग का काम हो रहा है,इससे गरीबों के मकान तो तड़क ही चूके है,घरों में दरार आने लगी है और सबसे बड़ी बात यह है कि जब जब ब्लास्टिंग होता है तब तक घर हिलने लगता है,जिससे ग्रामीण दहशत में है,रोज रोज की ब्लास्टिंग से तंग आकर गांव वालों ने शिकायत की और ठेकेदार तक को मना किया लेकिन किसी पर कोई असर नही हुआ बंल्कि उल्टा गांव वालों को हो धमकी मिल रही है,जबकि गांव वालों ने जिला और पुलिस प्रशासन के हर बड़े अधिकारी के कार्यालय में अपना शिकायत आवेदन ना दिया हो।
आखिरकार थकहार कर गांव वालों को निराश होकर ही लौटना पड़ा।
आखिरकार जब गांव वालों की कोई सुनवाई नही हुई तो गांव वालों ने कोर्ट की शरण ली और मामला कोर्ट तक चला गया है…
इधर खनिज, पुलिस और एसडीएम कोटा मौन धारण किए हुए हैं।
फिलहाल तो गांव वालों ने हिम्मत नही हारी है बल्कि न्याय की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है और ठान लिया है कि चाहे जो भी हो आखरी दम तक लड़ेंगे।
बहरहाल अब देखने वाली बात यह है कि क्या ग्रामीण हक की लड़ाई लड़ते हुए जीत हासिल करेंगे या नहीं!