गो कोरोना गो के नारों के साथ कोरोना की बरसी पूरी…ना कोरोना जीता, ना हम हारे!

खासखबर छत्तीसगढ़ बिलासपुर। कोरोना से जंग लड़ते,झगड़ते, सम्हलते एक बरस बीत गए ना कोरोना जीता, ना हम हारे। आज भी कोरोना से जंग जारी है। ये अलग बात है कि हमनें ना जाने कितने अपनों को खोया है और खोए जा रहे हैं।
कहते हैं कोरोना किसी का सगा नहीं, इसने किसी को भी नहीं छोड़ा,पढ़ा हैं डायन भी सात घर छोड़ देती है लेकिन कमबख्त कोरोना नें तो किसी अपने को बख्शा, ना परायों को।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए स्लोगन, दो गज दूरी मास्क है जरूरी। अब कोई मास्क लगाए तो ठीक, नहीं लगाए तो भी ठीक है दूरी का पालन करे तो ठीक, नहीं करे तो भी ठीक।
लोगों से रोजगार छीन रहे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मोबाईल फोन पर भी बार बार समझाया जा रहा है फिर भी समझ गए तो ठीक, नहीं समझे तो भी ठीक।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बैनर पोस्टर लगाया गया है पढ़े लिख्खन लोगों की खातिर, समझ गए तो ठीक, नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना से बचाव के लिए टीवी चैनलों के माध्यम से समझाया जा रहा है कि बार बार साबुन से हाथ धोयें, समझ गए तो ठीक नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना जानलेवा साबित हो सकता है प्रधानमंत्री द्वारा समझाया जा रहा है समझ गए तो ठीक नहीं समझे तो ठीक।
लोगों की लापरवाही पर रोक लगाने लॉक डाउन लगा कर समझाया जा रहा है कि कोरोना घातक है, घर पर रहिए,समझ गए तो ठीक नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना के बढ़ते प्रभाव को दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से समझाया जा रहा है, समझ गए तो ठीक, नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना से बचने क़ानून के रखवाले,पुलिस प्रशासन द्वारा बेवजह सड़कों पर निकले आम जनता को रोक रोक कर समझाया जा रहा है, समझ गए तो ठीक नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना के दंश से बचने जनप्रतिनिधियों द्वारा जनता को समझाया जा रहा है समझ गए तो ठीक नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना संक्रमित लोगों की अस्पताल में चल रही बेड की लड़ाई,घर में कोरेन टाईन,टेस्ट सेंटरों पर टेस्ट कराने आई भीड़ को भी समझाया जा रहा है, समझ गए तो ठीक, नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना से बचाव के लिए एक बरस की लड़ाई को पूरा होते होते बचाव हेतु वैक्सीन आ गए, लगाएं तो ठीक, नहीं लगवाएं तो ठीक।
किलर कोरोना के संक्रमण से बचाने पूरा एक साल बीत गया मंदिर मस्जिद, गुरद्वारा, और चर्च बंद रहे इसके बाद भी, नहीं समझे तो ठीक, समझ गए तो ठीक।
कातिल कोरोना के संक्रमण के भय से शिक्षा के मंदिर का पूरे एक बरस के बाद भी बंद होना भी समझाने के लिए ही था,समझ गए तो ठीक नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना के दंश से मौत का मंजर देखना हो तो मधुबन, श्मशान, मरघट,कब्रिस्तान, चले जाइए, समझ गए तो ठीक, नहीं समझे तो ठीक।
कोरोना गाईड लाइन जारी होने के एक बरस बाद भी मयखाने और मधुशाला की भीड़ कोरोना की बेइज्जती करनें काफी है कि लोग आज भी उससे नहीं डरते। समझ गए तो ठीक, नहीं समझे तो ठीक।
अंत में इतना ही कि यह समय चुनौतियों से भरा है संवेदनशील बनें दया दिखाएं और दान करें। सभी नें अपने अपने तरीकों से कोरोना से बचाव के उपाय पर फोकस किया है आप समझ गए तो ठीक, नहीं समझे तो ठीक।