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अध्यापन व्यवस्था की आड़ में…नियम कायदे जाय भाड़ में।

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर।उच्च न्यायालय के एक आदेश अनुसार कलेक्टर के अनुमोदन से ही किसी शिक्षक को मूल संस्था से अन्यत्र संलग्न किया जा सकता है बीईओ और डीईओ को संलग्नीकरण का अधिकार नहीं है किन्तु विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा की बात ही अलग है यहां ना तो जिला शिक्षा अधिकारी का मार्गदर्शन लिया जाता है ना कलेक्टर से अनुमोदन प्राप्त करने की प्रक्रिया अपनाई जाती है यहाँ तो सिर्फ नियम विरुद्ध (अध्यापन व्यवस्था) की आड़ में संलग्नीकरण का काम किया जा रहा है।

जहाँ बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षा का अधिकार कानून लागू है वहीं मूल शाला में पदस्थ शिक्षकों को विकास खण्ड शिक्षा कार्यालय बिल्हा द्वारा नियम विरुद्ध अन्य शाला में अध्यापन व्यवस्था के नाम पर संलग्न किया जा रहा है जब शाला में शिक्षक ही नहीं होंगे तो शाला में अध्यनरत बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद करना बेमानी होगा।

हम बात कर रहे हैं सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला कड़री की जहाँ 105 छात्रों को अध्यापन व पांच कक्षा संचालित करने एक प्रधान पाठक सहित दो शिक्षक पदस्थ थे, किन्तु बिल्हा की विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी ने 5/7/2024 को एक शिक्षक नवरत्न शुक्ला को अध्यापन व्यवस्था का हवाला देते हुए शासकीय प्राथमिक शाला आशबंद संकुल केंद्र बिरकोना संलग्न कर दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि जिस स्कूल से अध्यापन व्यवस्था के तहत शिक्षक को संलग्न किया गया है वहाँ अध्ययनरत बच्चों की दर्ज संख्या 28 है और प्रधान पाठक और एक शिक्षक थे अब अध्यापन व्यवस्था में एक और शिक्षक आ गए अब कुल तीन शिक्षक 28 बच्चों का अध्यापन व्यवस्था संभालेंगे लेकिन उन 105 बच्चों के अध्यापन कार्य के लिए 3 शिक्षक थे अब दो हो गए ऐसे में भविष्य का क्या!

सीधी सी बात है कि अध्यापन व्यवस्था करनें की इतनी जल्दी थी कि विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी बिल्हा नें सत्ताधारी दल के विधायक की अनुशंसा को तव्वजो देने विभागीय दिशा निर्देशों और गाइड लाइन का जमकर उल्लंघन किया है। विधायक को उपकृत करने शासन की नियम शर्तो की लक्ष्मण रेखा भी लांघ दी है। आलम ये कि ना तो डीईओ का मार्गदर्शन लिया गया ना ही कलेक्टर से अनुमति लेने की जरुरत समझी गईं।

बहरहाल जिम्मेदार अधिकारी का ऐसा रवैया रहा तो शिक्षा के अधिकार कानून अध्यापन व्यवस्था की आड़ में के बच्चों का भविष्य कागजों पर सिमट कर रह जायेगा।

“कहाँ सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति नियम कायदे को ताक पर रख कर कर दी गई?”

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