धान खरीदी केन्द्रों में पड़ा हुआ है करोड़ों का धान, उठाव को लेकर मिलर्स गंभीर नहीं…मिलर्स के साथ “एग्रीमेंट” छलावा साबित हो रहा… धान खरीदी केन्द्रों के प्रबंधकों के माथे पर चिंता की लकीर…जिम्मेदारों पर उठ रहे सवाल!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। नवंबर 2023 में शुरू हुई धान खरीदी 4 फरवरी 2024 को समाप्त हो गई। पंजीकृत किसानों से धान खरीदी केन्द्रों में खरीदी बंद हो गई। खरीदी के दौरान भी धान खरीदी केन्द्रों से मिलर्स द्वारा धान का उठाव नहीं के बराबर था धान उठाव को लेकर प्रबंधक गहरी चिंता में थे अब खरीदी समाप्त हो जाने के बाद प्रबंधकों की दिन रात की नींद हराम है। वजह है धान खरीदी केन्द्रों में मिलर्स द्वारा समय पर धान का उठाव नहीं किया जाना और उठाव के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का उदासीन रवैया।
प्रबंधकों की मानें तो नवम्बर 2023 में धान खरीदी शुरू हो गई थी मिलर्स को भी एग्रीमेंट के तहत धान उठाव के लिए डीइओ जारी किया जा रहा था और इस बीच किसानों से धान खरीदी भी जारी थी, किन्तु मिलर्स द्वारा धान उठाव नहीं के बराबर किया जा रहा था। खरीदी केन्द्रों में जगह की कमी हो रही थी। अगर मिलर्स धान उठा भी रहे थे तो केवल सवर्णा धान। आज खरीदी बंद हो जाने के 15 दिन बाद भी धान का शीघ्र उठाव के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को आवेदन दिया जा रहा है बार बार कार्यालय का चक्कर लगाया जा रहा है मिलर्स को फोन लगाया जा रहा है बावजूद इसके उठाव की गति धीमी है।
प्रबंधकों को धान के सूखने का डर, बेमौसम बरसात का डर है बड़ी संख्या में चूहे धान खा रहे हैं,हमालों के भोजन की व्यवस्था की चिंता है और अंत में सुरक्षा का डर बना हुआ है।
जानकारों का मानना है कि ये पूरा खेल सेटिंग का है इस खेल में मिलर्स और उठाव के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के बीच गहरी सांठगांठ होती है। इसलिए मिलर्स पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
अंत में बस इतना ही कि जब धान की खरीदी के लिए शासन स्तर पर रूप रेखा तैयार कर जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर दी जाती है और धान उठाव के लिए नियम शर्तों के साथ मिलर्स से एग्रीमेंट किया गया है तो फिर धान खरीदी केन्द्रों में से धान के उठाव में इतना विलंब और इतनी लापरवाही क्यों? इसके लिए जिम्मेदार कौन?