मतदाताओं का मतिभ्रम…मतदान हुआ कम! जीतेगा कौन…जब मतदाता हुआ मौन!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर।विधानसभा चुनाव 2023 चुनावी घोषणा पत्र गारंटी और भरोसा के बीच मुकाबला हुआ है हालांकि परिणाम आना बाकी है। जानकार कहते हैं गारंटी एक कानूनी शब्द है वहीं भरोसा में आसरे और सहारे का भाव होता है।
बिलासपुर जैसे हाई प्रोफाइल सीट पर इस बार सबकी नजर थी, और हो भी क्यों न, इस बार फिर भाजपा के पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और उनको लंबे मतों के अंतराल से 2018 में हराने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी शैलेश पांडे दुबारा चुनाव मैदान में आमने सामने थे। दोनो पार्टी प्रत्याशियों नें भले पिछले पांच साल में मतदाताओं के दरवाजे पर दस्तक नहीं दी लेकिन पिछले कुछ दिनों में हर तरह से मतदाताओं तक जाकर अपना अपना प्रचार प्रसार किया। मगर सब कुछ(होमडिलिवरी,समिति, समाज प्रमुख, समूह, समुदाय,मैनेजमेंट) करके भी मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने में सफल नहीं हुए और नतीजा ये रहा की जिले में सबसे कम मतदान करने बिलासपुर जिले की बिलासपुर विधानसभा रही जहा 2018 के मुकाबले 2023 में लगभग साढ़े पांच प्रतिशत कम मतदान हुआ। जानकर इसे मतदाताओं का मतिभ्रम मानते हैं।
चुनाव खत्म होने के बाद मतदाताओं की अपनी अलग राय है, किसी का कहना है की जीत के बाद कोई प्रत्याशी काम नहीं करता,हम तो वर्तमान में जीते हैं पूरे पांच साल में इनके दर्शन दुर्लभ होते हैं। घोषणा पत्र में गारंटी/भरोसा का वादा करनें वालों के कार्यकर्ता मुँह छुपाकर रहते हैं। कोई किसी का सगा नहीं है,हमनें दोनो पार्टी का कार्यकाल देखा है।
छत्तीसगढ़ में 15 साल भाजपा और 5 साल कांग्रेस का कार्यकाल जनता देख चुकी है ऐसे में मतदाताओं को ये भी लगा की सब वैसे ही है मतदान करने वालो को मतदान केंद्र तक लाने के लिए भी घोषणा पत्र में दोनो पार्टी के पास ठोस कुछ नहीं था की जिससे बाहर और शहर में रहने वाले मतदाता वोट करें। यह भी एक बड़ी वजह रही मतदान का प्रतिशत घटने की।
सीधी बात है कि कम मतदान दोनों प्रत्याशियों के मति में भ्रम पैदा कर दिए हैं सट्टा बाजार में भाव ही नहीं है मतदाता मौन है तो बोले कौन कि जीतेगा कौन!
तो भैया थोड़ा सब्र और कीजिए 3 दिसंबर 2023 को किसका राजतिलक होगा बस कुछ दिन में सब साफ हो जायेगा।