बिलासपुर

शैक्षिक समन्वयकों का “स्तीफा” देने का प्लान फेल!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। इन दिनों बीईओ बिल्हा कार्यालय के ग्रह नक्षत्र कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं, शनि की साढ़े साती लग गई लगता है हालाकि किसी का कोई काम रुक नहीं रहा है लेकिन कहीं स्कूल शिक्षकों की मनमानी सामने आ रही है तो कहीं प्रधान पाठकों की गहरी नाराजगी देखी जा रही है वहीं हितैषी शैक्षिक समन्वयक भी अब दामन छुड़ाने, मनमानी पर उतर आए हैं। मानों उन्हें जहाज के डूब जाने का भय सता रहा हो।

कल ही एक शैक्षिक समन्वयक जी का फोन आया पहले उन्होंने फार्मेलिटी निभाई फिर मुद्दे पर आ गए कहने लगे नाम नहीं छापना तो एक अंदर की बात बतलाऊँ फिर इसी शर्त पर बताया कि कुछ दिनों पहले सितंबर महीने में संकुल समन्वयकों का एक दल बीईओ बिल्हा कार्यालय गया था। बड़े गुस्से में था आर या पार कटोरा या कार का फैसला होना था, दस से बारह लोगों ने तो आवेदन पत्र पर हस्ताक्षर भी कर दिया था।

पहला महवपूर्ण मसला था कि अब कलेक्टर बिलासपुर के आदेश पर एसडीएम और तहसीलदारों की की टीम निरीक्षण करने लगी थी, दूसरी ओर डीईओ की टीम दौरा कर रही थी तीसरी तरफ जेडी साहब भी सघन दौरा कर धड़ा धड़ नोटिस जारी कर रहे थे।

दूसरा महत्वपूर्ण मसला कि जो नियम कायदे कागज पर था अब हमें भी नियमानुसार अपने अपने मूल शाला में पहले उपस्थिति दर्ज कर उपस्थिति पंजी में हस्ताक्षर करना, फिर बच्चों को 3 पीरियड पढ़ाना,डेली डायरी संधारित करना और फिर अपने संकुल अंतर्गत स्कूलों का अवलोकन कर उनका भी प्रमाण देना। वो इन सब कामों को लेकर नाराज थे।

पाठकों को बता दें कि यह सब, अब तक कागजों में था किन्तु धरातल में संकुल समन्वयक स्कूल शिक्षकों के भगवान कहे जाते थे, प्रथान पाठक और शिक्षकों की कुंडली इनके पास होती थी। उनकी नजर में शिक्षा विभाग के “साहब” कहलाते थे इनकी तूती बोलती थी। अब साहब लोगों को पहले की तरह आजादी पर रोक लगने से और वर्क लोड बढ़ जाने से स्वभाविक है बीपी बढ़ा होगा और गुस्सा आया होगा और चले गए होंगें बीईओ बिल्हा कार्यालय स्तीफा देने!

लेकिन इन्हें या इनके लीडर को यह नहीं मालूम था कि इनका नियोक्ता कौन है! अब संकुल समन्वयक क्या जाने उन्हें तो बस ईमानदारी से काम करना होता है, कर रहे थे।

भई जब शिक्षक नाराज,प्रधान पाठक नाराज और अब शैक्षिक समन्वयक नाराज तो अव्यवस्था तो होगी ना!

फिलहाल शैक्षिक समन्वयकों के द्वारा ऐसा फैसला लिया गया होगा कि नियोक्ता के पास जाकर अपने पद गवानें से अच्छा है कि नियमानुसार काम किया जाय, नहीं तो ना शैक्षिक समन्वयक रहेंगे ना टीचर।

एक शैक्षिक समन्वयक की लापरवाही के चलते…जेडी नें एक बीईओ को लगाई जमकर फटकार।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button