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आबकारी पर भारी…चखना सेंटर की दुकानदारी!

खबर खास छत्तीसगढ़ बिलासपुर। जिला के देशी,विदेशी सरकारी शराब दुकानों के आसपास धड़ल्ले से अवैध चखना सेंटर संचालित हो रहे हैं। यहीं नहीं चखना सेंटर की आड़ में शराब पीने-पिलाने का खेल खेला जा रहा है। नियमानुसार शराब बिक्री के लिए दुकान संकेतक बोर्ड, मार्ग पर लगाने की मनाही है। बिक्री के लिए समय निर्धारित किया गया है। मदिरा दुकानों के परिसर में पसरी गंदगी की साफ सफाई प्रतिदिन कम से कम दो बार किया जाना है। पर्यावरण एवं साफ सफाई का ध्यान रखते हुए आस पास डिस्पोजल ग्लास,एवं पानी पाउच का उपयोग और बिक्री की मनाही है बावजूद इसके प्रतिदिन निरीक्षण में जाने वाले जिम्मेदार आबकारी अधिकारी का इस ओर ध्यान नहीं देना अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़े करता है।

आबकारी विभाग के अधिकारी उपरोक्त मामलों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं ये भी एक बड़ा सवाल है। जिस कारण से चखना सेंटरों के संचालकों के हौसले बुलंद हैं।

दूसरी तरफ शहरी और ग्रामीण अंचलों में महुए की कच्ची और अवैध रूप से बेचे जाने वाली शराब पर पुलिस और आबकारी द्वारा लगातार कार्यवाई का किया जाता है लेकिन अन्य उपरोक्त मामलों पर जिम्मेदार अधिकारी का अनदेखी किया जाना, जनता की नजर में सवाल खड़े करता नजर आता है कि कानून दोनों तोड़ रहे हैं तो एक पर कार्यवाई और एक को छूट क्यों?

आबकारी नियम कागजों पर…!

विदेशी व देशी शराब दुकान की आड़ में खोले गए अवैध चखना सेंटर जहां शराब पीने पिलाने का दौर बदस्तूर जारी है। ज्यादातर जगहों पर जिन सड़कों के किनारे मदिरालय स्थित हैं वह काफी व्यस्ततम सड़क है जिस पर राहगीरों का दिन भर आना जाना रहता है। आसपास धार्मिक स्थल,शिक्षण संस्थान हैं जिसके कारण दिनभर वाहनों का आवागमन लगातार रहता है। साथ ही स्कूली बच्चे भी उसी मार्ग से आते जाते हैं। शराब दुकान से लगे अवैध चखना सेंटरों के होने के कारण शराबी शराब खरीद कर अवैध चखना दुकान में ही शराब पीने बैठ जाते हैं। नशा हावी होने पर असामाजिकता की हदें पार कर जाते हैं। नशे में मदमस्त होकर रोड क्रॉस करते हैं या वाहन चलाते हैं जिससे दुर्घटना की प्रबल संभावना बनी रहती है

उक्त मार्ग से स्कूली छात्राओं,महिलाओं का निकलना भी दूभर हो जाता है। जबकि कागजों में बनाए गए नियम कानून इसकी इजाजत नहीं देते फिर जिम्मेदार इसका पालन कराए जाने की बजाय अनदेखी करते हैं, क्यों?

जिम्मेदारों की अनदेखी

सभी सरकारी शराब दुकान के एरिया में जनता का प्रतिनिधित्व करनें वाले जनप्रतिनिधि हैं, कानून का पालन कराने वाले थाना प्रभारी हैं,आबकारी नियमों का पालन कराने वाले आबकारी अधिकारी हैं,बावजूद इसके नियम विरुद्ध अवैध चखना दुकानें संचालित की जा रही है! इन पर रोक कौन लगाएगा?

क्या है नियम

आबकारी नियमानुसार किसी भी शराब दुकान के पास किसी भी प्रकार का चखना दुकान लगाने पर शासन नें पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा है। लेकिन शासन के तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उक्त दुकानों में ना सिर्फ पानी पाउच, डिस्पोजल,सोडा, चना, मुर्रा,चिकन,अंडा,बिरयानी की बिक्री की जा रही है इतना ही नहीं शराबियों को स्थान (टेबल कुर्सी) उपलब्ध कराकर शराब भी परोसी भी जा रही है! जिससे चारों ओर गंदगी पसरी होती है।

लंबे समय से चल रहा खेल

जानकरों का मानना है कि विभाग के जिम्मेदार अफसरों,जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत के चलते,लंबे समय से अवैध चखना सेंटर का खेल चल रहा है। आबकारी विभाग के जिम्मेदार हर रोज शराब दुकानों की जांच करने के लिए जाते है, लेकिन वहां आबकारी नियमों के विरुद्ध अवैध रूप से संचालित चखना सेंटर की अनदेखी करते हैं।

क्या सरकारी शराब दुकानों के पास जिस तरह अवैध रूप से अहाता या चखना सेंटर संचालित करने वाले लोगों को पुलिस,जनप्रतिनिधियों,आबकारी विभाग और राजनीतिक पार्टियों का संरक्षण मिला हुआ है।

क्या यहीं कारण है कि जिम्मेदार विभागीय अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं?

स्वच्छ भारत मिशन यहाँ फेल

स्वच्छ भारत अभियान के जिम्मेदार अधिकारी को चाहिए कि स्वच्छता के लिए बनाए गए कानून को सरकारी मदिरालय के इर्द गिर्द भी पालन कराएं ताकि देशी और विदेशी शराब दुकानों के इर्दगिर्द पसरी गंदगी को देखकर जनता स्वच्छ भारत मिशन का मजाक ना बनाए।

फिलहाल राजधानी में बैठे जिम्मेदार उच्च अधिकारियों को चाहिए कि प्रदेश के जिले में अवैध रूप से संचालित चखने की दुकानों को पूर्ण रूप से बंद करानें एक आदेश जारी करें ताकि इस अवैध चखना सेन्टर के लिए बनाए नियम-कानून का पालन, धरातल पर हो, कागजों पर नहीं, साथ ही आम जनता को भी पता चल सके कि कानून से बड़ा कोई नहीं है इसका पालन सभी को करना होगा।

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